साभार दैनिक जागरण दिल्ली
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Monday, September 21, 2009
मीडिया से नाराज हैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने पोखरण-2 के परीक्षण पर उठे बवाल को मीडिया जगत की देन करार देते हुए रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वैज्ञानिक के संथानम के दावों को चौंकाने वाला बताया है। नारायणन ने कहा, हमारे पास थर्मोन्युक्लियर क्षमताएं हैं। अगर आप उनमें से किसी एक से किसी शहर पर हमला करेंगे, तो उनसे करीब 50 हजार से एक लाख मौतें हो सकती हैं। विभिन्न लोगों की ओर से मीडिया में स्वार्थपूर्ण प्रचार चलाया जा रहा है, जो सरकार के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत के पास थर्मोन्यूक्लियर क्षमता है और आला वैज्ञानिक इसकी पुष्टि कर चुके हैं। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों से मिलकर बना परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) पिछले हफ्ते 1998 के परमाणु परीक्षण की क्षमता पर प्रामाणिक बयान दे चुका है। अब इस मुद्दे पर सरकार की ओर से किसी अन्य स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। एक निजी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान नारायणन ने कहा कि एईसी 1998 में भी संतुष्ट था और 2009 में भी संतुष्ट है। ऐसे में इस मुद्दे पर चर्चा करना बेमानी है। हाइड्रोजन बम की प्रभाव क्षमता पर के संथानम के बयान से उपजे विवाद के कारण एईसी से 1998 के परमाणु परीक्षणों के आंकड़ों का पुन: अध्ययन करने को कहा गया था। नारायणन ने कहा, मुझे लगता है हम जो चाहते थे, हमने किया। सीएनआर राव, पी रामा राव व एमआर श्रीनिवासन राव जैसे एईसी के आला वैज्ञानिकों व परमाणु कार्यक्रम से जुड़े राजा रमन्ना ने 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नारायणन के मुताबिक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस में 45 किलोटन ईंधन का इस्तेमाल हुआ था। यह जानकारी किसी को भी नहीं थी। पता नहीं होने के कारण संथानम कुछ भी कह सकते हैं। एईसी के पूर्व प्रमुख पीके आयंगर ने भी परीक्षणों में 45 किलोटन ईंधन के इस्तेमाल की बात स्वीकार की थी और परमाणु विखंडन व संलयन की क्रियाएं एक साथ होने की आशंका जताई थी। जिस परीक्षण में इतने नामी-गिरामी वैज्ञानिक जुड़े थे उसके बारे में संथानम अकेले कोई दावा कैसे कर सकते हैं। मुझे लगता है संवेदनशील मसलों पर सार्वजनिक चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी पर तमाम देशों के हस्ताक्षर का आह्वान करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव पर जोर देने के अमेरिकी कदम के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिकी नेताओं के समक्ष इस मुद्दे को पहले ही उठाया जा चुका है और उन्होंने भारत को आश्वस्त किया है कि यह असैनिक परमाणु संधि को प्रभावित नहीं करेगी। गैर परमाणु देशों को संवर्धन और पुन: संवर्धन प्रौद्योगिकियों बेचने पर प्रतिबंध पर समूह आठ (जी8) देशों को सहमत करने की अमेरिका की कोशिशों के मद्देनजर भारत ने उन देशों से भी चर्चा की है जिनके साथ उसकी परमाणु संधियां हैं। परमाणु हथियारों के पहले उपयोग नहीं करने के सिद्धांत पर पुनर्विचार का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह केवल एक परमाणु रोधी क्षमता है। हम इसके प्रति कृतसंकल्प हैं। मुशर्रफ का बयान पुराना नारायणन ने कहा है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अमेरिका से मिली मदद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने की पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की स्वीकारोक्ति एक पुरानी कहानी है। पिछले तीन-चार साल के दौरान अमेरिका से आधुनिक हथियारों की पाकिस्तान की खरीदारी हारपून मिसाइल में किसी संशोधन से ज्यादा चिंता का विषय है। उन्होंने परमाणु हथियारों के जखीरे में पाकिस्तान के इजाफा करने की रिपोर्टों पर कहा यह तथ्य निश्चित रूप से चिंता का मुद्दा है कि एक देश अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है जो हमारे प्रति दोस्ती का रूख नहीं रखता।
Thursday, September 17, 2009
साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश में महिला पत्रकार की खिलाफ अश्लील पर्चबाजी
फाल्गुनी त्रिपाठी। भोपाल
मध्य प्रदेश में साधना न्यूज़ चैनल में हाल ही में ज्वाइन करने वाली वरिष्ठ पत्रकार मुक्ता पाठक को हटाने के लिए कुछ पत्रकारों ने उन्हें बदनाम करने के लिए बेनामी पर्चे निकालकर उनके चरित्रहनन की कोशिश की हैं खास बात ये है की जो पर्चे जारी हुए हैं वे सेन्ट्रल प्रेस क्लब के लेटर हेड पर हुए हैं। इस बात से न केवल मुक्ता पाठक आहत हैं बल्कि प्रेस क्लब के प्रेसिडेंट विजय दास भी नाराज हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच कराने की बात कही। माना जा रहा हैं मुक्ता पाठक के साधना न्यूज़ ज्वाइन करने से वहां काम कर रहे एक गुट को करार झटका लगा हैं क्योंकि उन लोगों को लगने लगा है की शायद मुक्त पाठक के आने से उनके काम प्रभावित होंगे साधना चैनल में भी उनका कद कम होगा। माना ये जा रहा है है की मुक्ता पाठक की कार्यशैली से लोग ज्यादा भयभीत हैं। क्योंकि मुक्ता पाठक जिस भी संस्थान में काम करती हैं उनका हर कदम संस्था के हित में होता हैं और इस कारण अमानत में खयानत करने वाले उनसे खासे नाराज़ रहते हैं साधना न्यूज़ के सूत्र बताते हैं कि मुक्ता पाठक के आने के बाद से न्यूज़ डिपार्टमेंट के एक पत्रकार ने इसका विरोध सिर्फ इसलिए किया क्योंकि मुक्ता कि साख उनसे ज्यादा अच्छी हैं और सरकार पर पकड़ भी पर्याप्त हैं ऐसे में मुक्ता पाठक का पहला शो "आप कि बात" हिट हो जाने से भी साधना न्यूज़ के दो पत्रकारों को खासी दिक्कतें शुरू हो गयी हैं साधना टीवी के सूत्रों का कहना हैं कि इन लोगों को इस बात से भी दिक्कत शुरू हो गई हैं कि मुक्ता पाठक को मैनेजमेंट ज्यादा तवज्जो क्यूँ दे रहा हैं इसके पहले भी ये बात सामने आई है की वल्लभ-भवन और जनसंपर्क कार्यालय में जाकर एक गुट मुक्ता पाठक को भला बुरा एक गुट ने कहा है। भोपाल में पत्रकारों का एक गिरोह हमेशा ही अपनी दुश्मनी निकलने के लिए पर्चेबाजी का सहारा लेता हैं ये वही लोग हैं जो इससे पहले सीनियर जर्नलिस्ट राहुल सिंह, एन के सिंह, राजेश बादल, अनुराग उपाध्याय, राजेन्द्र शर्मा, ह्रदेश दीक्षित, अभिलाष खांडेकर आदि के खिलाफ भी पर्चे निकाल चुके हैं इन पर्चों का शिकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर बड़े बड़े अधिकारी तक बने हैं लेकिन इस बार जो पर्चा मुक्ता पाठक के खिलाफ आया हैं वह एक दम भद्दा और घोर आपत्तिजनक हैं इस पर्चे में वह बातें भी लिखी हैं जो सिर्फ साधना चैनल में काम करने वाले व्यक्ति ही जानते हैं इसलिए यह पक्का हो गया हैं कि पर्चेबाज साधना के भीतर का ही कोई व्यक्ति हैं इस मामले पर जब मुक्ता पाठक से बात कि गई तो उन्होंने फ़िलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया हैं वही इस पर्चे में सेन्ट्रल प्रेस क्लब और उसके अध्यक्ष का नाम आने के बाद भी प्रेस क्लब कि चुप्पी समझ से परे हैं सेन्ट्रल प्रेस क्लब के सीनियर जर्नलिस्ट विजय दास ने इस पर्चेबाजी को असहनीय बताया हैं और कहा हैं वह इस मामले में गंभीर हैं और शीघ्र ही इस मामले कि जाँच करवायेंगे
साभार http://www.dakhal.net/
Wednesday, September 16, 2009
राज एक्सप्रेस, भोपाल : कई लोग गए और आए
राज एक्सप्रेस, भोपाल में पिछले चार सालों से अपनी सेवाएं दे रहे और वर्तमान में स्टेट न्यूज कोऑडीनेटर धर्मेंद्र वर्मा ने राज एक्सप्रेस को छोड़ने का मन बना लिया है। इसके तहत उन्होंने प्रबंधन को 45 दिन का नोटिस दे दिया है। पता चला है कि धर्मेंद्र अपनी खुद की एक पत्रिका लांच करने जा रहे हैं। एक अन्य जानकारी के मुताबिक विश्वेश्वर शर्मा ने राज एक्सप्रेस में स्टेट न्यूज कोऑर्डिनेटर के पद पर ज्वाइन कर लिया। श्री शर्मा इससे पहले भोपाल से प्रकाशित सांध्य दैनिक फाइन टाइम्स में संपादक के तौर पर पदस्थ थे। राज एक्सप्रेस में इंदौर रीजनल डेस्क के संपादकीय सहयोगी अमित माथुर ने राज को अलविदा कह दिया है। उन्होंने अपनी नई पारी पत्रिका इंदौर से शुरू कर दी है।
इसी डेस्क पर कार्यरत शैलेष साहू ने भी राज एक्सप्रेस से नमस्ते बोल दिया है। उनका अगला पड़ाव मालूम नहीं हो पाया है। राज एक्सप्रेस में ग्वालियर रीजनल डेस्क पर कार्यरत गणेश मिश्रा, इंदौर रीजनल डेस्क पर कार्यरत संदीप राजावत और आर16 में कार्यरत धीरज राय ने राज एक्सप्रेस को बाय बोल दिया है। इन तीनों ने दैनिक भास्कर भोपाल में रिपोर्टर के तौर पर ज्वाइन कर लिया है। राज एक्सप्रेस में जबलपुर रीजनल में एडीशन इंचार्ज वासुदेव शर्मा का तबादला प्रबंधन ने नरसिंहपुर ब्यूरो चीफ के तौर पर कर दिया है।
इसी डेस्क पर कार्यरत शैलेष साहू ने भी राज एक्सप्रेस से नमस्ते बोल दिया है। उनका अगला पड़ाव मालूम नहीं हो पाया है। राज एक्सप्रेस में ग्वालियर रीजनल डेस्क पर कार्यरत गणेश मिश्रा, इंदौर रीजनल डेस्क पर कार्यरत संदीप राजावत और आर16 में कार्यरत धीरज राय ने राज एक्सप्रेस को बाय बोल दिया है। इन तीनों ने दैनिक भास्कर भोपाल में रिपोर्टर के तौर पर ज्वाइन कर लिया है। राज एक्सप्रेस में जबलपुर रीजनल में एडीशन इंचार्ज वासुदेव शर्मा का तबादला प्रबंधन ने नरसिंहपुर ब्यूरो चीफ के तौर पर कर दिया है।
हमारी भूख-हल्का व्रत और भारी सेक्स
चौंकिए नही, ये विचित्र किंतु सत्य है। हो सकता है की हम में से बहुत सारे लोग इस सच को जानते हो की अब सेक्स धर्म पर भारी पड़ने लगा है, लेकिन में दावे के साथ कह सकता हु की जिस सेक्स और व्रत की बात में कर रहा हूँ वह आप नही जानते हैं। क्योंकि व्रत को हल्का कर सेक्स को भारी करने वाले तो आप और में ही हैं। खेर ये बाद में विचार करना की केसे? लेकिन इसके पहले ये जान ले की हमने ये गलती की कब। दरअसल वेब दुनिया की एक बड़ी साईट है लाइव हिंदुस्तान डॉट कॉम। इस साईट पर हर पल समाचार अपडेट होते हैं और इसकी पाठक संख्या भी काफी ज्यादा है। इस साईट पर एक कालम है जिसमे सबसे अधिक पड़ी जाने वाली खबरों का जिक्र होता है। हालाँकि ये कोई नई बात नही है, लेकिन यहाँ जिन ख़बरों का जिक्र है और उनकी रैंकिंग दर्ज है। वह चौंकने पर तो नही लेकिन सोचने पर जरूर मजबूर करता है। क्योंकि अभी तो ऐसे हालत नही हुए हैं की व्रत सेक्स से भी हल्का हो जाए। लेकिन वेबसाइट पर दर्ज रैंकिंग तो उसी तरफ इशारा कर है। लेकिन पूरी रैंकिग में एक चौंकाने वाली जो सबसे बड़ी बात है की व्रत केसे करे को पांचवां स्थान मिला है। मुझे व्रत वाली खबर पर हैरत इस लिए हो रही है की व्रत केसे करें पड़ने वाले लोग कौन हैं। और व्रत केसे करें पड़ने वाले लोग हैं तो फ़िर सेक्स की वे ख़बरें जिनका हकीकत से वास्ता कम है को क्यों पड़ा जा रहा है। सोचना जरूरी तो नही लेकिन सोचेंगे तो शायद सेहत पर असर नही पड़ेगा।
अब एक नज़र उन पाँच ख़बरों पर जिनके कारण मेरी बकवास आपको पड़नी पड़ रही है। क्योंकि आपको कुछ और भी तो पड़ना होगा। 1
एक टीचर ने बलात्कार किया, दूसरी ने कपड़े उतारे
अब एक नज़र उन पाँच ख़बरों पर जिनके कारण मेरी बकवास आपको पड़नी पड़ रही है। क्योंकि आपको कुछ और भी तो पड़ना होगा। 1
एक टीचर ने बलात्कार किया, दूसरी ने कपड़े उतारे
Monday, September 14, 2009
एमपी पत्रिका का एक साल, कई आए-गए
पत्रिका, भोपाल और पत्रिका, इंदौर ने मध्य प्रदेश में अपने एक साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन किया। भोपाल में आयोजित समारोह में प्रदेश के राज्यपाल समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए तो इंदौर के समारोह में मुख्यमंत्री ने हिस्सा लिया। हालांकि बाबी छाबड़ा प्रकरण के कारण इंदौर के समारोह में पत्रिका के लोग काफी डिमोरलाइज दिखे लेकिन अतिथियों की बड़े पैमाने पर उपस्थिति ने और समारोह के सफल हो जाने से इस जख्म पर मरहम का काम किया है। पत्रिका का मध्य प्रदेश में एक साल काफी उथल-पुथल भरा रहा। सरकुलेशन और ब्रांड प्रजेंस के मामले में पत्रिका ने सफलतापूर्वक अपना प्रमुख स्थान बनाया लेकिन आंतरिक उठापटक से यह अखबार काफी प्रभावित रहा। पत्रिका, भोपाल एक साल का हो गया लेकिन यहां इसी एक साल में कई स्थानीय संपादक आए-गए। अभी स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा हैं। वे पत्रिका, भोपाल के तीसरे स्थानीय संपादक हैं। शुरुआत में अजीत सिंह को स्थानीय संपादक के रूप में रखा गया था लेकिन अखबार के प्रकाशित होने से कुछ दिन पहले दिनेश रामावत को स्थानीय संपादक बनाकर अजीत सिंह को संपादकीय पेज देखने का काम दे दिया गया। प्रिंटलाइन में दिनेश रामावत का नाम जाने लगा लेकिन कुछ ही महीने बाद दिनेश रामावत को जयपुर बुला लिया गया और गिरिराज शर्मा को नया स्थानीय संपादक बना दिया गया।
इसी तरह पत्रिका, इंदौर में भी एक साल में दो स्थानीय संपादक आ-जा चुके हैं। पत्रिका की इंदौर में लांचिंग पंकज मुकाती ने कराई। बाद में उन्हें हटाकर अरुण चौहान का स्थानीय संपादक बना दिया गया। चर्चा है कि बाबी छाबड़ा प्रकरण के बाद पत्रिका प्रबंधन अरुण व कुछ अन्य को कार्रवाई के दायरे में ले सकता है। कुछ दिनों पहले स्थानीय संपादक रैंक के सिद्धार्थ भट्ट को भी पत्रिका, इंदौर भेजा गया है। इससे अब इंदौर में स्थानीय संपादक रैंक के दो-दो लोग हो चुके हैं। एक अन्य जानकारी के अनुसार पत्रिका, इंदौर के मार्केटिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जेपी शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है।
इसी तरह पत्रिका, इंदौर में भी एक साल में दो स्थानीय संपादक आ-जा चुके हैं। पत्रिका की इंदौर में लांचिंग पंकज मुकाती ने कराई। बाद में उन्हें हटाकर अरुण चौहान का स्थानीय संपादक बना दिया गया। चर्चा है कि बाबी छाबड़ा प्रकरण के बाद पत्रिका प्रबंधन अरुण व कुछ अन्य को कार्रवाई के दायरे में ले सकता है। कुछ दिनों पहले स्थानीय संपादक रैंक के सिद्धार्थ भट्ट को भी पत्रिका, इंदौर भेजा गया है। इससे अब इंदौर में स्थानीय संपादक रैंक के दो-दो लोग हो चुके हैं। एक अन्य जानकारी के अनुसार पत्रिका, इंदौर के मार्केटिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जेपी शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है।
मीडिया पर ब्लेकमेल का आरोप लगाया सीएम शिवराज ने
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ मीडिया कर्मी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं। कारण है शिवराज सिंह चौहान का वह बयान जिसमे उन्होंने कहा है की मीडिया बार बार पैकेज मांगता है। उनका आशय था सोमवार को समाप्त हुए गोहद और तेंदुखेडा के चुनाव के दौरान मीडिया को दिए गए पैकेज से। लेकिन वे अपने बयान में सभी मीडिया कर्मियों को शामिल का बेठे, इस बात से मीडिया के बड़े पत्रकार नाराज हैं। मुख्यमंत्री के बयान को लेकर इंडिया टीवी के संवाददाता ने अपनी कलम चलाई।
कौन ब्लैकमेल कर रहा हैं शिवराज को
अनुराग उपाध्याय
कई बार डर जुबान से भी निकलता हैं , जुबान से निकला डर अगर मुख्यमंत्री का हो तो फिर कहना ही क्या ? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के हर भाषण में इस समय टार्गेट मीडिया के लोग हैं वे मीडिया घरानों की रोज-रोज की डिमांड से इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने देश भर में एक साथ चुनाव कराय जाने की मांग कर दी हैं कुंजीलाल दुबे विद्यापीठ के कार्यक्रम में शिवराज सिंह ने मीडिया के लोगों को आडे हाथों लिया और कहा की यह सिर्फ पैकेज मांगने आते हैं यह सुनकर तमाम मीडिया के लोग चौंक गए शिवराज ने अपने स्टाइल में मीडिया के लोगो को कोसा या यों कहें कि उन्होंने उनका सच बयान किया अब सवाल उठता हैं कि शिवराज सिंह जो कह रहे हैं क्या वह पूर्णसत्य हैं इसका जवाब हैं नहीं ! शिवराज जो कह रहे हैं वह अर्धसत्य हैं शिवराज सिंह मन से कभी पूर्णसत्य कहते ही नहीं हैं पूर्ण सत्य तो यह होता कि वह बताएं कौन से मीडिया हॉउस उनसे पैकेज के नाम पर पैसा मांगते हैं , कौन से पत्रकार हैं जो उन पर दवाब बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे ऐसे लोगो के नाम सार्वजानिक करें, क्योंकि शिवराज सिंह हर बात पर दूध का दूध और पानी का पानी किये जाने का दम भरते हैं , तो अब करें !सार्वजनिक कार्यक्रमों में मीडिया को पैकेजखोर कहने भर से काम नहीं चलने वाला हैं शिवराज जी जिस तरह आपके मंत्रिमंडल से लेकर अफसरशाही तक में तमाम भ्रष्ट बैठे हुए हैं उसी तरह मीडिया में भी कुछ लोग "पैकेजखोरी" में लगे होंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता,लेकिन कुछ भ्रष्टों कारण जैसे आपको भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता ठीक ऐसे ही कुछ पैकेजखोरों के कारण सारा मीडिया भी पैकेजखोर नहीं हो सकता वैसे शिवराज जी, जब आप सच बयान करने का दम भरते हैं तो आपको यह भी बताना चाहिए कि आपके राम राज्य में मीडिया को इस पैकेज खोरी की जरूरत क्यों पड़ी ? आपकी सरकार ने ऐसा क्या कर दिया के आपको पैकेज डीलिंग शुरू करना पड़ी क्या राजनैतिक धरातल पर भाजपा भोंथरी हो गई या फिर सरकारी कारिंदों की काली करतूतें छुपाने के लिए सिवाए मीडिया को पैकेज का दाना चुगाने के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा था शिवराज सिंह आप एक बेहतरीन इंसान हैं , सत्य से आप दायें बाएं नहीं होते, यह आपकी खूबी में शुमार हैं, तो फिर सिर्फ अर्धसत्य क्यों ? मीडिया के इमानदार घराने मीडिया से जुड़े इमानदार पत्रकार सब आपसे जानना चाहते हैं कि कौन पैकेजखोर और क्यों पैकेजखोरी? आपका बाकि बचा अर्धसत्य जरुर कुछ लोगो की दुखती रग दबा देंगा , लेकिन तमाम ईमानदार लोग आपके कांधे से कांधा मिलाकर खड़े हो जायेंगे वैसे आपको भी यह समझ लेना चाहिए कि लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव में अपनी बात को दम से कहने के लिए पैकेज के ऑफ़र राजनैतिक दल ही देते हैं तब मीडिया के बिकाऊ लोगो को पालतू कुत्ता बनाने का काम आप जैसे नेता ही करते हैं "वॉच डॉग" पैकेज के चक्कर में कब "पेट डॉग" बन जाता हैं ये न उसे मालूम पड़ता हैं न आप जैसे सियासत करने वालों को जब आपके यही पालतू भस्मसुर बनने लगते हैं,तो आप मंचों से त्राहिमाम त्राहिमाम चिल्लाने लगते हैं मीडिया के कुछ लोगों कि पैकेज खोरी से शिवराज सिंह हताहत हैं , उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से छोटे बड़े चुनावों का सिलसिला चल रहा हैं तो पैकेजखोरी कि दुकाने भी चल रही हैं ऐसे में शिवराज सिंह की यह मांग इस मामले पर उनका दर्द और डर बयान करने के लिए पर्याप्त हैं कि देश में सभी चुनाव एक साथ हों ताकि समय और पैसे कि बर्बादी को रोका जा सके बहरहाल जो भी हैं शिवराज सिंह ने जब पैकेज पुराण शुरू किया हैं तो अब उनसे यह उम्मीद भी हैं कि वे इसके अगले अध्याय को पूरा करके ही समाप्त करेंगे नहीं तो अर्धसत्य बोलने का पुण्य उन्हें मिलेगा और अर्धसत्य छुपाने के पाप के भागी भी वे ही बनेंगे
(www.anuragupadhyay.com से साभार)
कौन ब्लैकमेल कर रहा हैं शिवराज को
अनुराग उपाध्याय
कई बार डर जुबान से भी निकलता हैं , जुबान से निकला डर अगर मुख्यमंत्री का हो तो फिर कहना ही क्या ? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के हर भाषण में इस समय टार्गेट मीडिया के लोग हैं वे मीडिया घरानों की रोज-रोज की डिमांड से इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने देश भर में एक साथ चुनाव कराय जाने की मांग कर दी हैं कुंजीलाल दुबे विद्यापीठ के कार्यक्रम में शिवराज सिंह ने मीडिया के लोगों को आडे हाथों लिया और कहा की यह सिर्फ पैकेज मांगने आते हैं यह सुनकर तमाम मीडिया के लोग चौंक गए शिवराज ने अपने स्टाइल में मीडिया के लोगो को कोसा या यों कहें कि उन्होंने उनका सच बयान किया अब सवाल उठता हैं कि शिवराज सिंह जो कह रहे हैं क्या वह पूर्णसत्य हैं इसका जवाब हैं नहीं ! शिवराज जो कह रहे हैं वह अर्धसत्य हैं शिवराज सिंह मन से कभी पूर्णसत्य कहते ही नहीं हैं पूर्ण सत्य तो यह होता कि वह बताएं कौन से मीडिया हॉउस उनसे पैकेज के नाम पर पैसा मांगते हैं , कौन से पत्रकार हैं जो उन पर दवाब बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे ऐसे लोगो के नाम सार्वजानिक करें, क्योंकि शिवराज सिंह हर बात पर दूध का दूध और पानी का पानी किये जाने का दम भरते हैं , तो अब करें !सार्वजनिक कार्यक्रमों में मीडिया को पैकेजखोर कहने भर से काम नहीं चलने वाला हैं शिवराज जी जिस तरह आपके मंत्रिमंडल से लेकर अफसरशाही तक में तमाम भ्रष्ट बैठे हुए हैं उसी तरह मीडिया में भी कुछ लोग "पैकेजखोरी" में लगे होंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता,लेकिन कुछ भ्रष्टों कारण जैसे आपको भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता ठीक ऐसे ही कुछ पैकेजखोरों के कारण सारा मीडिया भी पैकेजखोर नहीं हो सकता वैसे शिवराज जी, जब आप सच बयान करने का दम भरते हैं तो आपको यह भी बताना चाहिए कि आपके राम राज्य में मीडिया को इस पैकेज खोरी की जरूरत क्यों पड़ी ? आपकी सरकार ने ऐसा क्या कर दिया के आपको पैकेज डीलिंग शुरू करना पड़ी क्या राजनैतिक धरातल पर भाजपा भोंथरी हो गई या फिर सरकारी कारिंदों की काली करतूतें छुपाने के लिए सिवाए मीडिया को पैकेज का दाना चुगाने के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा था शिवराज सिंह आप एक बेहतरीन इंसान हैं , सत्य से आप दायें बाएं नहीं होते, यह आपकी खूबी में शुमार हैं, तो फिर सिर्फ अर्धसत्य क्यों ? मीडिया के इमानदार घराने मीडिया से जुड़े इमानदार पत्रकार सब आपसे जानना चाहते हैं कि कौन पैकेजखोर और क्यों पैकेजखोरी? आपका बाकि बचा अर्धसत्य जरुर कुछ लोगो की दुखती रग दबा देंगा , लेकिन तमाम ईमानदार लोग आपके कांधे से कांधा मिलाकर खड़े हो जायेंगे वैसे आपको भी यह समझ लेना चाहिए कि लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव में अपनी बात को दम से कहने के लिए पैकेज के ऑफ़र राजनैतिक दल ही देते हैं तब मीडिया के बिकाऊ लोगो को पालतू कुत्ता बनाने का काम आप जैसे नेता ही करते हैं "वॉच डॉग" पैकेज के चक्कर में कब "पेट डॉग" बन जाता हैं ये न उसे मालूम पड़ता हैं न आप जैसे सियासत करने वालों को जब आपके यही पालतू भस्मसुर बनने लगते हैं,तो आप मंचों से त्राहिमाम त्राहिमाम चिल्लाने लगते हैं मीडिया के कुछ लोगों कि पैकेज खोरी से शिवराज सिंह हताहत हैं , उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से छोटे बड़े चुनावों का सिलसिला चल रहा हैं तो पैकेजखोरी कि दुकाने भी चल रही हैं ऐसे में शिवराज सिंह की यह मांग इस मामले पर उनका दर्द और डर बयान करने के लिए पर्याप्त हैं कि देश में सभी चुनाव एक साथ हों ताकि समय और पैसे कि बर्बादी को रोका जा सके बहरहाल जो भी हैं शिवराज सिंह ने जब पैकेज पुराण शुरू किया हैं तो अब उनसे यह उम्मीद भी हैं कि वे इसके अगले अध्याय को पूरा करके ही समाप्त करेंगे नहीं तो अर्धसत्य बोलने का पुण्य उन्हें मिलेगा और अर्धसत्य छुपाने के पाप के भागी भी वे ही बनेंगे
(www.anuragupadhyay.com से साभार)
आर्मी ऑफिसर जबलपुर में विकलांगों की बने आशा
जबलपुर में आर्मी ऑफिसरों ने विकलांगो के लिए आशा नाम से एक स्कूल शुरू किया है जिसमे विकलांगों को बेहतर से बेहतर माहोल मिलेगा। आर्मी ऑफिसरों के इस कदम से जबलपुर जिले के उन माता पिता के बीच खुशी का माहोल है जिनके बच्चे किसी न किसी वजह से विकलांग हैं। पालकों का मानना है की इस स्कूल की सबसे अच्छी बात ये है की इसमे डिसिप्लिन रहेगा और उनके बच्चों को वो सबकुछ सीखने को मिलेगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नही की थी। सबसे अच्छी बात ये है की इस स्कूल के शुरू करने और उसके बाद लोगो तक स्कूल का उद्देश्य पहुँचाने में मीडिया ने बढ चड़कर मदद की। हमको भी ऐसे आर्मी ऑफिसर को सलाम करना चाहिए जिन्होंने देस की रक्षा के साथ मानव सेवा करने का भी बीड़ा उठाया।
Saturday, September 12, 2009
एक जहाज डूबा अब किसकी बारी
अनुराग उपाध्याय
कहते हैं जब जहाज डूबने वाला होता हैं तो सबसे पहले चूहे उछल कूद करते हैं और गाहे बगाहे जहाज से कूद जाते हैं मध्यप्रदेश में बड़े-बड़े दावे कर अवतरित हुए वॉइस ऑफ़ इंडिया चैनल के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ जब पिछले बरस २००८ में यह चैनल लाँच हुआ तो इसके कर्ताधर्ताओं ने बड़ी-बड़ी बाते की हालाँकि यह बड़ बोले इस चैनल में शराबखोरी , औरतखोरी और अडीबाजी से ज्यादा कुछ नहीं कर सके ऐसे में नतीजा यह हुआ कि पहले छह महीने में छोड़ पत्रकारिता सब कुछ करने वाले यह लोग वॉइस ऑफ़ इंडिया रूपी जहाज को हिचकोला खाते देख इधर-उधर कूदना शुरू हो गए जो लोग लंगर कि तरह इसे थामे हुए थे वे असल पत्रकार थे और डूबते जहाज के अंतिम वक़्त तक साक्षी बने रहे मध्यप्रदेश में वॉइस ऑफ़ इंडिया न्यूज़ चैनल के डूबने से कुछ मीडियाकर्मियों को समस्याए आना लाजिमी हैं लेकिन धैर्य से वह विषम परिस्थितियों से उबर पाएंगे ऐसी कामना भी हमें करना चाहिए टेलीविज़न चैनल्स पर जिस समय ९/९/९ के संयोग कि खबर चल रही थी उसी वक़्त भोपाल के एम्.पी.नगर में वॉइस ऑफ़ इंडिया चैनल के दफ्तर पर ताला लटकाया जा रहा था इस चैनल के इसी दफ्तर में लड़कियों के साथ यहाँ के प्रमुख ने जिस तरह का बर्ताव किया था उससे तब ही जाहिर हो गया था कि चैनल पर शनि की वक्री द्रष्टि पड़ चुकी हैं और देर सवेर यह चैनल बंद जरुर होगा वी.ओ.आई के बंद होने से ठीक दो हफ्ते पहले मध्यप्रदेश के लोकप्रिय रीजनल चैनल सहारा समय ने अपने यहाँ से जिस तरह रिपोर्टस और कैमरामैन को चलता किया उसके बाद यह तय हो गया हैं कि मध्यप्रदेश का बाजार दो से ज्यादा रीजनल चैनल्स को झेलने कि क्षमता नहीं रखता हैं वॉइस ऑफ़ इंडिया दूसरा रीजनल चैनल हैं इससे पहले वॉच न्यूज़ चैनल भी इसी तरह बंद हुआ इन दोनों चैनल कि टीम बहुत अच्छी थी लेकिन इनके टीम लीडर ऐसे नहीं थे जो चैनल चला सके ऐसे में सवाल उठता हैं कि वॉच न्यूज़ और वॉइस ऑफ़ इंडिया के बाद अब कौन? मध्यप्रदेश में इस वक़्त सहारा समय चैनल दर्शकों कि पहली पसंद हैं और दूसरे नंबर पर ईटीवी हैं एक अन्य साधना न्यूज़ चैनल भी अपने अस्तित्व कि तलाश में संघर्ष कर रहा हैं, लेकिन इसके शीर्ष पर अब वे ही लोग सवार हैं जो "वॉइस ऑफ़ इंडिया" के डूबने का कारन बने हैं इसलिए इस चैनल को लेकर भी संभावनाए कम और आशंकाए ज्यादा नजर आती हैं मध्यप्रदेश में २१ फीसदी दर्शकों के साथ सहारा समय लोगों की पहली पसंद बना हैं तो ईटीवी के पास फिक्स १७ फीसदी दर्शक हैं तीसरे नंबर पर साधना न्यूज़ उसी हाल में हैं जिस हाल में कभी वॉइस ऑफ़ इंडिया हुआ करता था मध्यप्रदेश में रीजनल चैनल देखने वाले अधिकांश लोग सहारा समय पर ही भरोसा करते हैं और वह उनकी पहली पसंद हैं इस बीच ईटीवी ने अपनी ख़बरों के फारमेट में कई तब्दिलिया की और वह नंबर दो का हक़दार बन गया इन दो चैनल्स के बाद सब कुछ भगवन भरोसे हैं ऐसे में जी न्यूज़ मध्यप्रदेश में अपना रीजनल न्यूज़ चैनल लाने जा रहा हैं उसका जी छत्तीसगढ़ प्रयोग सफल रहा हैं और वह दमख़म के साथ मध्यप्रदेश पर कब्जा करना चाहता हैं, जाहिर हैं जी का शटर अप हुआ तो किसी एक चैनल का शटर डाउन हो जायगा वैसा भी दौड़ का नियम यही हैं कि पहले सबसे पीछे दौड़ रहे धावक को पीछे छोडो और आगे बढो मध्यप्रदेश में भी मसला अब "पीछे छोडो और आगे बढों" का हैं सहारा और वीओआई से बेरोजगार हुए इन बेहतरीन रिपोर्टस की शानदार टीम भी इस जुमले पर अमल करेगी और कुछ नया करने में जुट जायेगी क्योंकि मध्यप्रदेश में "कार्यशील और चरित्रवान" पत्रकारों की पूछ परख हमेशा रही हैं वैसे भी जिन लोगों को डूबते जहाज पर सवारी करने का तजुर्बा हो जाए वह अगली बार ऐसा नहीं होने देते, रही बात चूहों कि तो वे फिर उछल कूद में लग गए हैं एक बार फिर डूबते जहाज से बाहर आने के लिए
कहते हैं जब जहाज डूबने वाला होता हैं तो सबसे पहले चूहे उछल कूद करते हैं और गाहे बगाहे जहाज से कूद जाते हैं मध्यप्रदेश में बड़े-बड़े दावे कर अवतरित हुए वॉइस ऑफ़ इंडिया चैनल के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ जब पिछले बरस २००८ में यह चैनल लाँच हुआ तो इसके कर्ताधर्ताओं ने बड़ी-बड़ी बाते की हालाँकि यह बड़ बोले इस चैनल में शराबखोरी , औरतखोरी और अडीबाजी से ज्यादा कुछ नहीं कर सके ऐसे में नतीजा यह हुआ कि पहले छह महीने में छोड़ पत्रकारिता सब कुछ करने वाले यह लोग वॉइस ऑफ़ इंडिया रूपी जहाज को हिचकोला खाते देख इधर-उधर कूदना शुरू हो गए जो लोग लंगर कि तरह इसे थामे हुए थे वे असल पत्रकार थे और डूबते जहाज के अंतिम वक़्त तक साक्षी बने रहे मध्यप्रदेश में वॉइस ऑफ़ इंडिया न्यूज़ चैनल के डूबने से कुछ मीडियाकर्मियों को समस्याए आना लाजिमी हैं लेकिन धैर्य से वह विषम परिस्थितियों से उबर पाएंगे ऐसी कामना भी हमें करना चाहिए टेलीविज़न चैनल्स पर जिस समय ९/९/९ के संयोग कि खबर चल रही थी उसी वक़्त भोपाल के एम्.पी.नगर में वॉइस ऑफ़ इंडिया चैनल के दफ्तर पर ताला लटकाया जा रहा था इस चैनल के इसी दफ्तर में लड़कियों के साथ यहाँ के प्रमुख ने जिस तरह का बर्ताव किया था उससे तब ही जाहिर हो गया था कि चैनल पर शनि की वक्री द्रष्टि पड़ चुकी हैं और देर सवेर यह चैनल बंद जरुर होगा वी.ओ.आई के बंद होने से ठीक दो हफ्ते पहले मध्यप्रदेश के लोकप्रिय रीजनल चैनल सहारा समय ने अपने यहाँ से जिस तरह रिपोर्टस और कैमरामैन को चलता किया उसके बाद यह तय हो गया हैं कि मध्यप्रदेश का बाजार दो से ज्यादा रीजनल चैनल्स को झेलने कि क्षमता नहीं रखता हैं वॉइस ऑफ़ इंडिया दूसरा रीजनल चैनल हैं इससे पहले वॉच न्यूज़ चैनल भी इसी तरह बंद हुआ इन दोनों चैनल कि टीम बहुत अच्छी थी लेकिन इनके टीम लीडर ऐसे नहीं थे जो चैनल चला सके ऐसे में सवाल उठता हैं कि वॉच न्यूज़ और वॉइस ऑफ़ इंडिया के बाद अब कौन? मध्यप्रदेश में इस वक़्त सहारा समय चैनल दर्शकों कि पहली पसंद हैं और दूसरे नंबर पर ईटीवी हैं एक अन्य साधना न्यूज़ चैनल भी अपने अस्तित्व कि तलाश में संघर्ष कर रहा हैं, लेकिन इसके शीर्ष पर अब वे ही लोग सवार हैं जो "वॉइस ऑफ़ इंडिया" के डूबने का कारन बने हैं इसलिए इस चैनल को लेकर भी संभावनाए कम और आशंकाए ज्यादा नजर आती हैं मध्यप्रदेश में २१ फीसदी दर्शकों के साथ सहारा समय लोगों की पहली पसंद बना हैं तो ईटीवी के पास फिक्स १७ फीसदी दर्शक हैं तीसरे नंबर पर साधना न्यूज़ उसी हाल में हैं जिस हाल में कभी वॉइस ऑफ़ इंडिया हुआ करता था मध्यप्रदेश में रीजनल चैनल देखने वाले अधिकांश लोग सहारा समय पर ही भरोसा करते हैं और वह उनकी पहली पसंद हैं इस बीच ईटीवी ने अपनी ख़बरों के फारमेट में कई तब्दिलिया की और वह नंबर दो का हक़दार बन गया इन दो चैनल्स के बाद सब कुछ भगवन भरोसे हैं ऐसे में जी न्यूज़ मध्यप्रदेश में अपना रीजनल न्यूज़ चैनल लाने जा रहा हैं उसका जी छत्तीसगढ़ प्रयोग सफल रहा हैं और वह दमख़म के साथ मध्यप्रदेश पर कब्जा करना चाहता हैं, जाहिर हैं जी का शटर अप हुआ तो किसी एक चैनल का शटर डाउन हो जायगा वैसा भी दौड़ का नियम यही हैं कि पहले सबसे पीछे दौड़ रहे धावक को पीछे छोडो और आगे बढो मध्यप्रदेश में भी मसला अब "पीछे छोडो और आगे बढों" का हैं सहारा और वीओआई से बेरोजगार हुए इन बेहतरीन रिपोर्टस की शानदार टीम भी इस जुमले पर अमल करेगी और कुछ नया करने में जुट जायेगी क्योंकि मध्यप्रदेश में "कार्यशील और चरित्रवान" पत्रकारों की पूछ परख हमेशा रही हैं वैसे भी जिन लोगों को डूबते जहाज पर सवारी करने का तजुर्बा हो जाए वह अगली बार ऐसा नहीं होने देते, रही बात चूहों कि तो वे फिर उछल कूद में लग गए हैं एक बार फिर डूबते जहाज से बाहर आने के लिए
-लेखक अनुराग उपाध्याय इंडिया टीवी में कार्यरत हैं,
Saturday, September 05, 2009
ख़बरों की मारामारी में कैटरीना की प्रेस कांफ्रेंस से राहत
खबरों के लिए मारामारी के इस दौर में फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस की क्या अहमियत होती है। आप जानते ही हैं। अगर पत्रकारिता जीवन के शुरूआती दौर में कैटरीना और रणवीर जेसे सितारों को कवर करने मौका मिले तो फ़िर कहना ही क्या। 5 सितम्बर के दिन भोपाल के नूरउस सबाह होटल के कांफ्रेस हाल का नज़ारा आज कुछ ऐसा ही था। करीब 50 से ज्यादा कैमरामेन और पत्रकार सभागर में मौजूद थे। इनमे नए पत्रकारों का उत्साह देखने लायक था। आइये जानते है नए नवेले पत्रकार दिलनवाज/सुशील की जुबानी आज हुई पत्रकार वार्ता का आंखों देखा हाल।
लाइव- पत्रकारिता जीवन की पहली कांफ्रेंस, हमारे उत्साह-उत्तेजना का आप अंदाजा भर लगा सकते हैं। कांफ्रेंस में हम पहुंच तो बड़े उत्साह से फिर लगा जो खबरें हमारे हाथ लगेंगी वो तो हमारे मीडियाकर्मी बाकी भाइयों के हाथों में भी जाने वाली हैं। हम यहां से क्या अलग, क्या एक्सक्लूसिव लेकर जाने वाले हैं। हम पर हमारा खुद का ही दबाव था कि कुछ अलग हटकर निकाला जाए...कुछ सूझ नहीं रहा था। आइडिए के लिए हमने आपस में ही सिर भिड़ाया, एकाएक एक आइडिया क्लिक कर गया...क्यों ना इसी प्रेस कांफ्रेंस की ही लाइव रिपोर्टिंग कर डाली जाए...किसी कांफ्रेंस की जितना लिखा, दिखाया जाता है उससे इतर वहां बहुत कुछ होता है, बताने को...फिर ये तो फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस थी,बस हमने तय कर लिया आपको शब्द दर शब्द अवगत कराएंगे इस कांफ्रेंस के हर वाकए से... क्यों भई जब कैटरीना हो, रणबीर हो और प्रकाश झा भी हों तो और सामने हों ढेर सारे मीडियाकर्मी तो खबर से इतर कितना कुछ होता है जो खबर बन सकता है... घंटेभर पहले पहुंचे, आगे की कुर्सियों पर जम गए...अपने जीवन की पहली प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए हम इतने उत्साहित कि कांफ्रेंस हाल में समय से एक घंटा पहले ही पहुंच गए। भोपाल के नूरउस सबाह होटल के कांफ्रेस हाल में लगभग 20 वेटर और उनका मैनेजर व्यवस्था करने में जुटे थे। कुर्सियां लगी थीं हम बिना मौका गवाएं सबसे अगली लाइन में जाकर बैठ गए। जब हमने अपनी दांई तरफ देखा तो प्रकाश झा जी (निर्माता-निर्देशक राजनीति फिल्म) और पटकथाकार अजुंम रजब अली जी आपस में बातें कर रहे थे। बॉलीवुड की दो मसहूर हस्तियों का अपने इतना करीब बैठे हुए देखते ही हमारे अंदर का पत्रकार जाग गया और बिना मौका गवांए हमने प्रकाश झा जी से अनुमति लेकर उनपर नौसिखिए पत्रकारों जैसे प्रश्न दागने शुरु कर दिए। झल्लाए झा,बोले-रणबीर तो अभी बच्चा... हमारा पहला प्रश्न था...इतने संवेदनशील मुद्दे पर बनने वाली फिल्म में आप यूथ आईकॉन रणबीर कपूर को अहम भूमिका में रख रहे हैं क्या आप भारतीय राजनीति में युवाओं के प्रवेश को दिखाना चाहते हैं। तो इस प्रश्न पर झल्लाते हुए प्रकाश जी ने कहा कि रणबीर कपूर काहे का यूथ आईकॉन, अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं। फिल्म में और भी बड़े कलाकार हैं जैसे नानापाटेकर जी, अजय देवगन, मनोज वाजपेयी और नसरूद्दीन शाह जी। जवाब सुनकर हम समझ गए कि इस संवेदनशील फिल्म में भी सांवरिया गीत गाते ही नजर आएंगे।हिम्मत जुटाकर हमने उनसे दूसरा सवाल किया - राजनीति मुद्दे पर आपको फिल्म बनाने की प्रेरणा कहां से मिली, क्या आप भारतीय राजनीति से प्रभावित हैं? इस प्रश्न के जवाब में बड़े अनमने मन से प्रकाश झा जी ने कहा कि मैं तो सिर्फ एक कहानी लोगों को दिखाना चाहता हूं लोग चाहें तो इसमें भारतीय राजनीति देख सकते हैं। शायद वो इस सवाल के लिए तैयार नहीं थे या हमारा प्रश्न गलत था। ...और बज गई फोन की घंटीइसी बीच झा जी के फोन की घंटी बजी। उधर से शायद रणबीर बात कर रहे थे। उन्होंने क्या कहा हमने ठीक से नहीं सुना लेकिन जो झा जी ने कहा वह हम आपको बता रहे हैं- नहीं बाबा अभी मत आओ कुछ पत्रकारों को इकट्ठा होने दो। जैसे ही पत्रकार आते हैं मैं रिंग कर दूंगा। तुम लॉबी से होते हुए आ जाना। फोन कट॥मैं तो सिर्फ कहानी दिखा रहा हूं,प्रेरणा आप ले लें...बरहाल हिम्मत करते हुए हमने दूसरा प्रश्न किया - आपकी फिल्म राजनीति मौजूदा भारतीय राजनीति की समस्याएं उजागर करेंगी या भारतीय राजनीति को भविष्य का रास्ता दिखाएगी। इस सवाल का जवाब भी वही आया। मैं सिर्फ एक कहानी दिखा रहा हूं। अब तक हमारे सवाल करने के हौसले पस्त हो चुके थे लेकिन फिर भी पत्रकारों की मर्यादा का मान रखते हुए हमने एक और सवाल करने की कोशिश की। आपकी यह फिल्म क्या संदेश देगी-जवाब फिर वही था, मैं एक कहानी पर काम कर रहा हूं। कोई खास संदेश देने का मकसद नहीं है लोग चाहें तो इससे प्रेरणा ले सकते हैं।काहै का वन टू वन इंटरव्यू, मसाला चाहिए क्या...झा जी के जवाबों के सामने हमारे सवाल पस्त हो चुके थे और हम चुपचाप अपनी जगह पर वापस आकर बैठ गए और इसी बीच हमारी एक पत्रकार साथी धड़धड़ाते हुए कांफ्रेंस हॉल में आईं और सीधे जाकर झा जी के सामने खड़ी हो गईं। हम समझ गए थे कि वो जरूर एक परिपक्व पत्रकार हैं। हमारी तरह वो किसी परिचय की मोहताज नहीं थी। झा जी उन्हें पहचान गए और जो सैंडविच खा रहे थे उन्हें भी ऑफर किया। उन्होंने सैंडविच तो नहीं खाया लेकिन झा जी से एक निवेदन जरूर किया। वो आज के कांफ्रेंस के सितारे कैटरीना और रणबीर का वन-टू-वन (व्यक्तिगत साक्षात्कार) करना चाह रही थीं। झा जी ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा कि यह मेरे बस की बात नहीं है और आप भी जानती हैं कि टीवी चैनलों के वन-टू-वन इंटरव्यू में क्या होता है। कोई गंभीर बात तो नहीं होती सिर्फ व्यक्तिगत प्रश्न करके मसाला खबर निकालने की ही होड़ रहती है।महिला पत्रकार अब हमारे बगल आकर बैठ गई और अगले आधे घंटे तक हम ऐसे ही बैठे रहे। उसके बाद हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो कांफ्रेंस भवन साथी पत्रकारों से गुलजार हो चुका था। इलोक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार अपना कैमरा सेट करने में व्यस्त हो गए। कैटरीना-रणबीर की एंट्रीकुछ समय बीतने के बाद कैमरों की चमचमाती रोशनी के बीच और बॉडीगार्ड की सुरक्षा के साए में कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर ने माइक के पीछे जगह संभाली। कांफ्रेंस की शुरुआत में सितारों ने भोपाल का शुक्रिया अदा किया और फिर शुरु हो गया सवालों का सिलसिला।पहला सवाल - एक साथी पत्रकार ने पूछा आपकी फिल्म की कहानी क्या है? (हम आपको बता दें कि फिल्म 10 महीने बाद रिलीज होनी है)झा जी का जवाबः यह फिल्म एक राजनीतिक परिवार की कहानी है जिसका मौजूदा किसी परिवार से संबंध नहीं है।अगला सवाल - क्या फिल्म में रणबीर और कैटरीना राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भूमिका निभा रहे हैं?जवाब - नहीं वो दोनों प्रेमी हैं।...और कांफ्रेंस का केन्द्र बन गईं कैटरीनाअब कैटरीना कैफ पत्रकारों की जिज्ञासा का केन्द्र बन चुकी थी और हमारी बाईं तरफ बैठे एक अतिउत्साहित पत्रकार मित्र ने पूछा कि - कल सलमान खान ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कैटरीना विवेक ओबरॉय जैसे इडियट के साथ काम करे यह मुझे पसंद नहीं।कैटरीना का जवाब - इस सवाल पर कैटरीना कैफ थोड़ा परेशान दिखीं और बगल में बैठे झा जी की तरफ देखा। कुछ सोचकर वो बोलीं कि अगर सलमान चाहते हैं तो मैं विवेक के साथ काम नहीं करूंगी।अगला सवाल भी कैटरीना से ही सलमान के बारे में था -सवाल - सलमान खान का कहना है कि वो आपकी फिल्में इसलिए नहीं देखते क्योंकि आप छोटे कपड़े पहनती हैं?जवाब - कैटरीना ने मुस्कराते हुए कांफ्रेस में पहनी सूट की तरफ देखकर बोला कि आज शायद सलमान मुझे देखकर खुश हो जाएं।...और झल्ला गए रणबीरलगातार कैटरीना और सलमान पर किए जा रहे सवालों पर पास में बैठे रणबीर कपूर ने झल्लाते हुए कहा कि कुछ बातें फिल्म के बारे में कर लीजिए। अगर सलमान से ही बात करनी है तो कैटरीना से उनका नंबर लेकर बात कर लें।अब पत्रकार बंधुओं को ध्यान आया कि यहां पर रणबीर भी बैठे हैं, अगला सवाल उन्हीं से था॥सवाल - राजनीति जैसी बड़ी फिल्म में काम करके आपको कैसा लग रहा है?जवाब - मुझे इस फिल्म में काम करके अपनी छवि बदलने का मौका मिल रहा है। साथ ही प्रकाश झा और नानापाटेकर जैसे वरिष्ठ लोगों के साथ काम करना मेरे लिए सीखने का मौका है।कई और सवाल रणबीर से हुए जिनमें रोचकता नहीं थी - एक बार फिर पत्रकार साथी फिल्म राजनीति की ओर लौटे और झा जी से फिल्म की कहानी उगलवाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी झा जी सबके साथ राजनीति खेल गए - झा का राजनीति की तरफ रुझानसवाल - क्या राजनीति फिल्म के जरिए आप भारतीय राजनीति में अपने लिए जगह तलाशना चाहते हैं?जवाब - मैं हमेशा ही राजनीति के करीब रहा हूं। बिहार की राजनीति से प्रेरणा ली है कुछ बातें हैं जिन्हें मैंने समझा है उन्हें दिखाना चाहता हूं।टिकट मिला तो लड़ूगीं चुनाव!सवाल - अभी तक आपने रोमांटिक फिल्में की हैं, इस फिल्म में आप एक राजनेता की भूमिका में होंगी। क्या आप अपने आपमें एक पॉलिटकल आइकॉन देखती हैं?जवाब - मुस्कराते हुए कैटरीना ने कहा, झा जी अगर पार्टी बनाते हैं तो एक टिकट मैं भी ले लूंगी।कई और सवाल भी हुए जवाब भी आए और अंतत: झा जी को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि चाय और नाश्ता आपका इंतजार कर रहा है। और सितारे कैमरों की चमक से दूर अपने रूम की ओर चले गए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आए पत्रकारों का वन-टू-वन करने का सपना धरा का धरा रह गया।चमकते रहे कैमरेपूरी कांफ्रेंस के दौरान शायद एक भी सेकेंड ऐसा रहा हो जब कैमरों के क्लिक की आवजें कानों में ना पड़ी हो। हम यह नहीं समझ पाए कि हमारे कैमरामैन बंधु आखिरकार कौन सी विशेष फोटो लेना चाहते हैं। कलाकार जब आए थे उनके कैमरे चमक रहे थे और जबतक वो गए कैमरे चमकते रहे।
लाइव- पत्रकारिता जीवन की पहली कांफ्रेंस, हमारे उत्साह-उत्तेजना का आप अंदाजा भर लगा सकते हैं। कांफ्रेंस में हम पहुंच तो बड़े उत्साह से फिर लगा जो खबरें हमारे हाथ लगेंगी वो तो हमारे मीडियाकर्मी बाकी भाइयों के हाथों में भी जाने वाली हैं। हम यहां से क्या अलग, क्या एक्सक्लूसिव लेकर जाने वाले हैं। हम पर हमारा खुद का ही दबाव था कि कुछ अलग हटकर निकाला जाए...कुछ सूझ नहीं रहा था। आइडिए के लिए हमने आपस में ही सिर भिड़ाया, एकाएक एक आइडिया क्लिक कर गया...क्यों ना इसी प्रेस कांफ्रेंस की ही लाइव रिपोर्टिंग कर डाली जाए...किसी कांफ्रेंस की जितना लिखा, दिखाया जाता है उससे इतर वहां बहुत कुछ होता है, बताने को...फिर ये तो फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस थी,बस हमने तय कर लिया आपको शब्द दर शब्द अवगत कराएंगे इस कांफ्रेंस के हर वाकए से... क्यों भई जब कैटरीना हो, रणबीर हो और प्रकाश झा भी हों तो और सामने हों ढेर सारे मीडियाकर्मी तो खबर से इतर कितना कुछ होता है जो खबर बन सकता है... घंटेभर पहले पहुंचे, आगे की कुर्सियों पर जम गए...अपने जीवन की पहली प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए हम इतने उत्साहित कि कांफ्रेंस हाल में समय से एक घंटा पहले ही पहुंच गए। भोपाल के नूरउस सबाह होटल के कांफ्रेस हाल में लगभग 20 वेटर और उनका मैनेजर व्यवस्था करने में जुटे थे। कुर्सियां लगी थीं हम बिना मौका गवाएं सबसे अगली लाइन में जाकर बैठ गए। जब हमने अपनी दांई तरफ देखा तो प्रकाश झा जी (निर्माता-निर्देशक राजनीति फिल्म) और पटकथाकार अजुंम रजब अली जी आपस में बातें कर रहे थे। बॉलीवुड की दो मसहूर हस्तियों का अपने इतना करीब बैठे हुए देखते ही हमारे अंदर का पत्रकार जाग गया और बिना मौका गवांए हमने प्रकाश झा जी से अनुमति लेकर उनपर नौसिखिए पत्रकारों जैसे प्रश्न दागने शुरु कर दिए। झल्लाए झा,बोले-रणबीर तो अभी बच्चा... हमारा पहला प्रश्न था...इतने संवेदनशील मुद्दे पर बनने वाली फिल्म में आप यूथ आईकॉन रणबीर कपूर को अहम भूमिका में रख रहे हैं क्या आप भारतीय राजनीति में युवाओं के प्रवेश को दिखाना चाहते हैं। तो इस प्रश्न पर झल्लाते हुए प्रकाश जी ने कहा कि रणबीर कपूर काहे का यूथ आईकॉन, अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं। फिल्म में और भी बड़े कलाकार हैं जैसे नानापाटेकर जी, अजय देवगन, मनोज वाजपेयी और नसरूद्दीन शाह जी। जवाब सुनकर हम समझ गए कि इस संवेदनशील फिल्म में भी सांवरिया गीत गाते ही नजर आएंगे।हिम्मत जुटाकर हमने उनसे दूसरा सवाल किया - राजनीति मुद्दे पर आपको फिल्म बनाने की प्रेरणा कहां से मिली, क्या आप भारतीय राजनीति से प्रभावित हैं? इस प्रश्न के जवाब में बड़े अनमने मन से प्रकाश झा जी ने कहा कि मैं तो सिर्फ एक कहानी लोगों को दिखाना चाहता हूं लोग चाहें तो इसमें भारतीय राजनीति देख सकते हैं। शायद वो इस सवाल के लिए तैयार नहीं थे या हमारा प्रश्न गलत था। ...और बज गई फोन की घंटीइसी बीच झा जी के फोन की घंटी बजी। उधर से शायद रणबीर बात कर रहे थे। उन्होंने क्या कहा हमने ठीक से नहीं सुना लेकिन जो झा जी ने कहा वह हम आपको बता रहे हैं- नहीं बाबा अभी मत आओ कुछ पत्रकारों को इकट्ठा होने दो। जैसे ही पत्रकार आते हैं मैं रिंग कर दूंगा। तुम लॉबी से होते हुए आ जाना। फोन कट॥मैं तो सिर्फ कहानी दिखा रहा हूं,प्रेरणा आप ले लें...बरहाल हिम्मत करते हुए हमने दूसरा प्रश्न किया - आपकी फिल्म राजनीति मौजूदा भारतीय राजनीति की समस्याएं उजागर करेंगी या भारतीय राजनीति को भविष्य का रास्ता दिखाएगी। इस सवाल का जवाब भी वही आया। मैं सिर्फ एक कहानी दिखा रहा हूं। अब तक हमारे सवाल करने के हौसले पस्त हो चुके थे लेकिन फिर भी पत्रकारों की मर्यादा का मान रखते हुए हमने एक और सवाल करने की कोशिश की। आपकी यह फिल्म क्या संदेश देगी-जवाब फिर वही था, मैं एक कहानी पर काम कर रहा हूं। कोई खास संदेश देने का मकसद नहीं है लोग चाहें तो इससे प्रेरणा ले सकते हैं।काहै का वन टू वन इंटरव्यू, मसाला चाहिए क्या...झा जी के जवाबों के सामने हमारे सवाल पस्त हो चुके थे और हम चुपचाप अपनी जगह पर वापस आकर बैठ गए और इसी बीच हमारी एक पत्रकार साथी धड़धड़ाते हुए कांफ्रेंस हॉल में आईं और सीधे जाकर झा जी के सामने खड़ी हो गईं। हम समझ गए थे कि वो जरूर एक परिपक्व पत्रकार हैं। हमारी तरह वो किसी परिचय की मोहताज नहीं थी। झा जी उन्हें पहचान गए और जो सैंडविच खा रहे थे उन्हें भी ऑफर किया। उन्होंने सैंडविच तो नहीं खाया लेकिन झा जी से एक निवेदन जरूर किया। वो आज के कांफ्रेंस के सितारे कैटरीना और रणबीर का वन-टू-वन (व्यक्तिगत साक्षात्कार) करना चाह रही थीं। झा जी ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा कि यह मेरे बस की बात नहीं है और आप भी जानती हैं कि टीवी चैनलों के वन-टू-वन इंटरव्यू में क्या होता है। कोई गंभीर बात तो नहीं होती सिर्फ व्यक्तिगत प्रश्न करके मसाला खबर निकालने की ही होड़ रहती है।महिला पत्रकार अब हमारे बगल आकर बैठ गई और अगले आधे घंटे तक हम ऐसे ही बैठे रहे। उसके बाद हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो कांफ्रेंस भवन साथी पत्रकारों से गुलजार हो चुका था। इलोक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार अपना कैमरा सेट करने में व्यस्त हो गए। कैटरीना-रणबीर की एंट्रीकुछ समय बीतने के बाद कैमरों की चमचमाती रोशनी के बीच और बॉडीगार्ड की सुरक्षा के साए में कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर ने माइक के पीछे जगह संभाली। कांफ्रेंस की शुरुआत में सितारों ने भोपाल का शुक्रिया अदा किया और फिर शुरु हो गया सवालों का सिलसिला।पहला सवाल - एक साथी पत्रकार ने पूछा आपकी फिल्म की कहानी क्या है? (हम आपको बता दें कि फिल्म 10 महीने बाद रिलीज होनी है)झा जी का जवाबः यह फिल्म एक राजनीतिक परिवार की कहानी है जिसका मौजूदा किसी परिवार से संबंध नहीं है।अगला सवाल - क्या फिल्म में रणबीर और कैटरीना राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भूमिका निभा रहे हैं?जवाब - नहीं वो दोनों प्रेमी हैं।...और कांफ्रेंस का केन्द्र बन गईं कैटरीनाअब कैटरीना कैफ पत्रकारों की जिज्ञासा का केन्द्र बन चुकी थी और हमारी बाईं तरफ बैठे एक अतिउत्साहित पत्रकार मित्र ने पूछा कि - कल सलमान खान ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कैटरीना विवेक ओबरॉय जैसे इडियट के साथ काम करे यह मुझे पसंद नहीं।कैटरीना का जवाब - इस सवाल पर कैटरीना कैफ थोड़ा परेशान दिखीं और बगल में बैठे झा जी की तरफ देखा। कुछ सोचकर वो बोलीं कि अगर सलमान चाहते हैं तो मैं विवेक के साथ काम नहीं करूंगी।अगला सवाल भी कैटरीना से ही सलमान के बारे में था -सवाल - सलमान खान का कहना है कि वो आपकी फिल्में इसलिए नहीं देखते क्योंकि आप छोटे कपड़े पहनती हैं?जवाब - कैटरीना ने मुस्कराते हुए कांफ्रेस में पहनी सूट की तरफ देखकर बोला कि आज शायद सलमान मुझे देखकर खुश हो जाएं।...और झल्ला गए रणबीरलगातार कैटरीना और सलमान पर किए जा रहे सवालों पर पास में बैठे रणबीर कपूर ने झल्लाते हुए कहा कि कुछ बातें फिल्म के बारे में कर लीजिए। अगर सलमान से ही बात करनी है तो कैटरीना से उनका नंबर लेकर बात कर लें।अब पत्रकार बंधुओं को ध्यान आया कि यहां पर रणबीर भी बैठे हैं, अगला सवाल उन्हीं से था॥सवाल - राजनीति जैसी बड़ी फिल्म में काम करके आपको कैसा लग रहा है?जवाब - मुझे इस फिल्म में काम करके अपनी छवि बदलने का मौका मिल रहा है। साथ ही प्रकाश झा और नानापाटेकर जैसे वरिष्ठ लोगों के साथ काम करना मेरे लिए सीखने का मौका है।कई और सवाल रणबीर से हुए जिनमें रोचकता नहीं थी - एक बार फिर पत्रकार साथी फिल्म राजनीति की ओर लौटे और झा जी से फिल्म की कहानी उगलवाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी झा जी सबके साथ राजनीति खेल गए - झा का राजनीति की तरफ रुझानसवाल - क्या राजनीति फिल्म के जरिए आप भारतीय राजनीति में अपने लिए जगह तलाशना चाहते हैं?जवाब - मैं हमेशा ही राजनीति के करीब रहा हूं। बिहार की राजनीति से प्रेरणा ली है कुछ बातें हैं जिन्हें मैंने समझा है उन्हें दिखाना चाहता हूं।टिकट मिला तो लड़ूगीं चुनाव!सवाल - अभी तक आपने रोमांटिक फिल्में की हैं, इस फिल्म में आप एक राजनेता की भूमिका में होंगी। क्या आप अपने आपमें एक पॉलिटकल आइकॉन देखती हैं?जवाब - मुस्कराते हुए कैटरीना ने कहा, झा जी अगर पार्टी बनाते हैं तो एक टिकट मैं भी ले लूंगी।कई और सवाल भी हुए जवाब भी आए और अंतत: झा जी को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि चाय और नाश्ता आपका इंतजार कर रहा है। और सितारे कैमरों की चमक से दूर अपने रूम की ओर चले गए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आए पत्रकारों का वन-टू-वन करने का सपना धरा का धरा रह गया।चमकते रहे कैमरेपूरी कांफ्रेंस के दौरान शायद एक भी सेकेंड ऐसा रहा हो जब कैमरों के क्लिक की आवजें कानों में ना पड़ी हो। हम यह नहीं समझ पाए कि हमारे कैमरामैन बंधु आखिरकार कौन सी विशेष फोटो लेना चाहते हैं। कलाकार जब आए थे उनके कैमरे चमक रहे थे और जबतक वो गए कैमरे चमकते रहे।
दार्जलिंग में सरेआम प्यार के इकरार पर पाबन्दी
अलग राज्य की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने प्यार का सरेआम इजहार करने पर प्रतिबन्ध लगा दी है।
वैसे जोड़े जो प्यार का इजहार करने या हनीमून मनाने सिलीगुड़ी या दार्जलिंग की खूबसूरत वादियों में आते हैं, उनके लिए बुरी खबर है। अब आगे से उन्हें प्यार का सरेआम इजहार करना महंगा पड़ सकता है। अलग राज्य की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने प्यार का सरेआम इजहार करने पर प्रतिबन्ध लगा दी है। अब ऐसे प्रेमी युगल एक दूसरे का हाथ पकड़ कर भी नहीं घूम सकते है। यह नया तुगलकी फरमान दार्जिलिंग सहित कर्सियांग और कालिंपोंग पर भी लागू होगा। प्यार पर पहरा लगाने वाले फरमान का ऐलान गोजमुमो के युवा शाखा के अध्यक्ष रमेश आले ने किया है। उनका कहना है की उन्होंने यह कदम समाज की भलाई के लिए उठाया है। उनके इस फरमान का पालन गोजमुमो कार्यकर्ता पूरी सिद्दत से करेंगे।
यह प्रतिबंध दार्जलिंग में बुधवार से लागू हो गया। अपने नए आदेश को अमली जामा पहनाने के लिए उन्होंने हांथ में हांथ डाले घूम रहे एक जोड़े को पकड़ कर किया। जब जोड़े ने माफी मांगी तथा साथ में भविष्य में ऐसा ना करने की शर्त रखी तब जाकर उन्हें छोड़ा।
इस तुगलकी फरमान दार्जलिंग के स्थानीय लोगो ने विरोध किया है। उनका मानना है की इससे न केवल यहां का पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा बल्कि हिल स्टेशन भी बदनाम होगा। दार्जिलिंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अखिलेश चतुर्वेदी ने कहा की उन्हें अब तक इस सम्बन्ध में छह शिकायतें मिल चुकी हैं। दार्जिलिंग के अलावा कर्सियांग और कालिंपोंग में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस इन सभी मामलों की जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करेगी।
वैसे जोड़े जो प्यार का इजहार करने या हनीमून मनाने सिलीगुड़ी या दार्जलिंग की खूबसूरत वादियों में आते हैं, उनके लिए बुरी खबर है। अब आगे से उन्हें प्यार का सरेआम इजहार करना महंगा पड़ सकता है। अलग राज्य की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने प्यार का सरेआम इजहार करने पर प्रतिबन्ध लगा दी है। अब ऐसे प्रेमी युगल एक दूसरे का हाथ पकड़ कर भी नहीं घूम सकते है। यह नया तुगलकी फरमान दार्जिलिंग सहित कर्सियांग और कालिंपोंग पर भी लागू होगा। प्यार पर पहरा लगाने वाले फरमान का ऐलान गोजमुमो के युवा शाखा के अध्यक्ष रमेश आले ने किया है। उनका कहना है की उन्होंने यह कदम समाज की भलाई के लिए उठाया है। उनके इस फरमान का पालन गोजमुमो कार्यकर्ता पूरी सिद्दत से करेंगे।
यह प्रतिबंध दार्जलिंग में बुधवार से लागू हो गया। अपने नए आदेश को अमली जामा पहनाने के लिए उन्होंने हांथ में हांथ डाले घूम रहे एक जोड़े को पकड़ कर किया। जब जोड़े ने माफी मांगी तथा साथ में भविष्य में ऐसा ना करने की शर्त रखी तब जाकर उन्हें छोड़ा।
इस तुगलकी फरमान दार्जलिंग के स्थानीय लोगो ने विरोध किया है। उनका मानना है की इससे न केवल यहां का पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा बल्कि हिल स्टेशन भी बदनाम होगा। दार्जिलिंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अखिलेश चतुर्वेदी ने कहा की उन्हें अब तक इस सम्बन्ध में छह शिकायतें मिल चुकी हैं। दार्जिलिंग के अलावा कर्सियांग और कालिंपोंग में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस इन सभी मामलों की जांच करने के बाद उचित कार्रवाई करेगी।
राज एक्सप्रेस में बड़े बदलाव
रवींद्र जैन भोपाल पहुंचे
राज एक्सप्रेस, इंदौर का स्थानीय संपादक गीत दीक्षित को बनाए जाने के बाद अब तक आरई के रूप में काम देख रहे रवींद्र जैन का तबादला राज एक्सप्रेस, भोपाल के स्टेट ब्यूरो के हेड के रूप में किए जाने की सूचना मिली है। एक अन्य सूचना के मुताबिक राज एक्सप्रेस, ग्वालियर के स्थानीय संपादक चंदा वार्गल ने इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह नए आरई बने हैं विजय शुक्ला जो अभी तक राज एक्सप्रेस के भोपाल ब्यूरो में रिपोर्टिंग करते थे।
गीत दीक्षित को नई जिम्मेदारी दी गई।
उन्हें राज एक्सप्रेस के इंदौर संस्करण का स्थानीय संपादक बना दिया गया है। गीत इससे पहले राज एक्स्प्रेस के लिए भोपाल में रहते हुए पोलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेशन बीट के स्टेट हेड के रूप में कार्य कर रहे थे। गीत राज एक्सप्रेस, जबलपुर के स्थानीय संपादक भी रह चुके हैं। नवभारत के ग्रुप एडिटर के रूप में काम कर चुके गीत दैनिक स्वदेश, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य मत भारत, दैनिक जागरण आदि अखबारों में काम कर चुके हैं। वे उमा भारती के मीडिया प्रभारी और सलाहकार भी रह चुके हैं।
दैनिक भास्कर, ग्वालियर के साथ कई पत्रकार जुड़ रहे हैं। राज एक्सप्रेस और देशबंधु, भोपाल में काम कर आशेंद्र सिंह ने भास्कर में काम शुरू कर दिया है। आशेन्द्र जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के पत्रकारिता विभाग में गेस्ट टीचर के रूप में छात्रों को पढ़ाते भी रहे हैं। आशेंद्र के अलावा संजय पाण्डेय और गरिमा श्रीवास्तव ने भी दैनिक भास्कर, ग्वालियर से अपनी नई पारी शरू की है। नवभारत, ग्वालियर से इस्तीफा देकर संजय बोहरे ग्वालियर में दैनिक भास्कर के साथ जुड़ गए हैं।
इंदौर में पीपुल्स समाचार जल्द
राजस्थान के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह राजस्थान पत्रिका ने मध्य प्रदेश में उज्जैन संस्करण का प्रकाशन शुरू कर दिया है। उज्जैन संस्करण इंदौर के अधीन है। इंदौर से उज्जैन एडिशन प्रकाशित किया जा रहा है। यहां स्थानीय संपादक के रूप में सिद्धार्थ भट्टा को भेजा गया जो पहले राजस्थान पत्रिका, कोटा के प्रभारी थे। बाद में उनका तबादला जयपुर के लिए कर दिया गया था।
इंदौर में पीपुल्स समाचार जल्द ही लांच होने जा रहा है। इन दिनों इस अखबार की डमी छपने लगी है। पत्रिका, कोटा के चीफ सब एडिटर इशान अवस्थी के पीपुल्स समाचार, इंदौर में ज्वाइन करने की खबर है। पत्रिका, भोपाल के तेज बहादुर और पराग नाथू ने भी पीपुल्स का दामन थामा है।
राज एक्सप्रेस, इंदौर का स्थानीय संपादक गीत दीक्षित को बनाए जाने के बाद अब तक आरई के रूप में काम देख रहे रवींद्र जैन का तबादला राज एक्सप्रेस, भोपाल के स्टेट ब्यूरो के हेड के रूप में किए जाने की सूचना मिली है। एक अन्य सूचना के मुताबिक राज एक्सप्रेस, ग्वालियर के स्थानीय संपादक चंदा वार्गल ने इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह नए आरई बने हैं विजय शुक्ला जो अभी तक राज एक्सप्रेस के भोपाल ब्यूरो में रिपोर्टिंग करते थे।
गीत दीक्षित को नई जिम्मेदारी दी गई।
उन्हें राज एक्सप्रेस के इंदौर संस्करण का स्थानीय संपादक बना दिया गया है। गीत इससे पहले राज एक्स्प्रेस के लिए भोपाल में रहते हुए पोलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेशन बीट के स्टेट हेड के रूप में कार्य कर रहे थे। गीत राज एक्सप्रेस, जबलपुर के स्थानीय संपादक भी रह चुके हैं। नवभारत के ग्रुप एडिटर के रूप में काम कर चुके गीत दैनिक स्वदेश, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य मत भारत, दैनिक जागरण आदि अखबारों में काम कर चुके हैं। वे उमा भारती के मीडिया प्रभारी और सलाहकार भी रह चुके हैं।
दैनिक भास्कर, ग्वालियर के साथ कई पत्रकार जुड़ रहे हैं। राज एक्सप्रेस और देशबंधु, भोपाल में काम कर आशेंद्र सिंह ने भास्कर में काम शुरू कर दिया है। आशेन्द्र जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के पत्रकारिता विभाग में गेस्ट टीचर के रूप में छात्रों को पढ़ाते भी रहे हैं। आशेंद्र के अलावा संजय पाण्डेय और गरिमा श्रीवास्तव ने भी दैनिक भास्कर, ग्वालियर से अपनी नई पारी शरू की है। नवभारत, ग्वालियर से इस्तीफा देकर संजय बोहरे ग्वालियर में दैनिक भास्कर के साथ जुड़ गए हैं।
इंदौर में पीपुल्स समाचार जल्द
राजस्थान के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह राजस्थान पत्रिका ने मध्य प्रदेश में उज्जैन संस्करण का प्रकाशन शुरू कर दिया है। उज्जैन संस्करण इंदौर के अधीन है। इंदौर से उज्जैन एडिशन प्रकाशित किया जा रहा है। यहां स्थानीय संपादक के रूप में सिद्धार्थ भट्टा को भेजा गया जो पहले राजस्थान पत्रिका, कोटा के प्रभारी थे। बाद में उनका तबादला जयपुर के लिए कर दिया गया था।
इंदौर में पीपुल्स समाचार जल्द ही लांच होने जा रहा है। इन दिनों इस अखबार की डमी छपने लगी है। पत्रिका, कोटा के चीफ सब एडिटर इशान अवस्थी के पीपुल्स समाचार, इंदौर में ज्वाइन करने की खबर है। पत्रिका, भोपाल के तेज बहादुर और पराग नाथू ने भी पीपुल्स का दामन थामा है।
Friday, September 04, 2009
अब पत्रकारिता के ब्राम्हणों का विरोध
मध्यप्रदेश में पत्रकारों के बीच में वैमनस्य पैदा करने के लिए पहले ब्राम्हण पत्रकारों के नाम पर लाबिंग की गई तो अब इसके जवाब में गैर ब्राम्हण पत्रकार एक जुट हो रहे हैं मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और मध्य प्रदेश में पत्कारिता के इतिहास में पहली बार पत्रकार जाती को लेकर आमने-सामने हैं। ब्राम्हण पत्रकारों को एक जुट करने में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शलभ भदौरिया सक्रिए हो गए हैं शलभ भदौरिया का कहना हैं पत्रकार किसी जात-पात में बँटा व्यक्ति नहीं होता और कुछ लोग अपने निजी स्वार्थो के लिए पत्रकारों को जाती और वर्ग में बांटे इसे भी ठीक नहीं कहा जा सकता मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ब्राम्हण पत्रकार समागम मध्यप्रदेश के एक मंत्री की सोची समझी चाल का नतीजा था ऐसा करके पद, पैसा और स्त्री लोलुप पत्रकारों के जरिये इस बात का प्रचार करना था कि प्रदेश के तीन प्रमुख ब्राम्हण मंत्री अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हैं लेकिन ब्राम्हण पत्रकारों में ही इस समागम के बाद मतभेद शुरू हो गए ईमानदार और सद्चरित्र ब्राम्हण पत्रकारों ने ऐसे किसी भी आयोजन से अपने को दूर बताया और साफ़ कहा "हम तो सिर्फ खाना खाने गए थे " वैसे भी उस आयोजन में तमाम सारे ब्राम्हण पत्रकारों ने दूरी बना ली थी मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया के नेत्रत्व में गैर ब्राम्हण पत्रकार एकजुट हो रहे हैं गैर ब्राम्हण पत्रकारों का समागम भी अब जल्द भोपाल में होने वाला हैं इस आयोजन के बारे में 'दखल' को खबर मिली हैं कि इसमें मूलत: सिर्फ पत्रकारिता करने वाले लोग शामिल होंगे और आयोजन से उन पत्रकारों को दूर रखा जायेगा जो पत्रकारों के बीच में जाति और मजहब की दीवारे खड़ी कर रहे हैं पत्रकारों के शीर्ष नेता शलभ भदौरिया ने बताया कि १३ सितंबर को उज्जैन में श्रमजीवी पत्रकार संघ कि वर्किंग कमेटी कि मीटिंग में यह मसला उठेगा , वहां ऐसे पत्रकारों कि घोर निंदा कि जायेगी जो पत्रकारों के बीच में विभेद पैदा कर के लाभ लेना चाहते हैं युवा पत्रकार प्रदीप जायसवाल का साफ़ कहना हैं कि पत्रकार समाज से जातपात मिटने का काम करे यह तो समझ में आता हैं, कथित बड़े पत्रकार अपनी सुख सुविधाओं और खुद कि दुकाने चलती रहे इसलिए ऐसा करे यह समझ से परे हैं यह कथित सुविधा भोगी ,शराबी अय्याश पत्रकार अब समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं टेलीविजन पत्रकार टाइम्स नाउ के राहुल सिंह कहते हैं "यह ठीक नहीं हैं" जाती के आधार पर पत्रकारों का विभाजन ठीक नहीं हैं, अपने लाभ के लिए पत्रकारों को जाति में बांटा जाना घोर निंदनीय हैं समाज पत्रकारों को उनके पेशे के लिए सम्मान देता हैं जाती के आधार पर नहीं राहुल कहते हैं "पत्रकारों को जातपात' राजनैतिक दलों में आस्था जैसे मसलों से बचना चाहिए वहीँ सी एन ई बी के पत्रकार अनुराग अमिताभ मिश्रा का साफ़ कहना हैं जो ब्राम्हण पत्रकारों के नाम पर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं वे आइना देखे और अपने आप से पूंछे कि लोग उन्हें ब्राम्हण होने के नाते जानते हैं या पत्रकार के रूप में वैसे भी इस तरह का घिनौना काम करने वाले लोग पत्रकार छोड़ बाकि सब होंगे अनुराग अमिताभ कहते हैं कि अब पत्रकारों के भेस में तमाम सारे दलाल, अय्याश और धंधेबाज इकठ्ठा हो गए हैं समाज को चाहिए कि वे ऐसे लोगो को सबक सिखाये मध्यप्रदेश में कुछ पत्रकारिता से असबंध लोगो ने ब्राम्हण पत्रकारों के नाम पर जब जमावडा शुरू किया तो इसका पत्रकारों ने ही खासकर ब्राम्हण पत्रकारों ने विरोध शुरू कर दिया हैं इसके बाद से पत्रकारिता के कथित ब्राम्हणवादियों की मुसीबते शुरू हो गयी हैं
साभार। ww.dakhal.net
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