मध्य प्रदेश के वरिष्ठ मीडिया कर्मी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं। कारण है शिवराज सिंह चौहान का वह बयान जिसमे उन्होंने कहा है की मीडिया बार बार पैकेज मांगता है। उनका आशय था सोमवार को समाप्त हुए गोहद और तेंदुखेडा के चुनाव के दौरान मीडिया को दिए गए पैकेज से। लेकिन वे अपने बयान में सभी मीडिया कर्मियों को शामिल का बेठे, इस बात से मीडिया के बड़े पत्रकार नाराज हैं। मुख्यमंत्री के बयान को लेकर इंडिया टीवी के संवाददाता ने अपनी कलम चलाई।
कौन ब्लैकमेल कर रहा हैं शिवराज को
अनुराग उपाध्याय
कई बार डर जुबान से भी निकलता हैं , जुबान से निकला डर अगर मुख्यमंत्री का हो तो फिर कहना ही क्या ? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के हर भाषण में इस समय टार्गेट मीडिया के लोग हैं वे मीडिया घरानों की रोज-रोज की डिमांड से इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने देश भर में एक साथ चुनाव कराय जाने की मांग कर दी हैं कुंजीलाल दुबे विद्यापीठ के कार्यक्रम में शिवराज सिंह ने मीडिया के लोगों को आडे हाथों लिया और कहा की यह सिर्फ पैकेज मांगने आते हैं यह सुनकर तमाम मीडिया के लोग चौंक गए शिवराज ने अपने स्टाइल में मीडिया के लोगो को कोसा या यों कहें कि उन्होंने उनका सच बयान किया अब सवाल उठता हैं कि शिवराज सिंह जो कह रहे हैं क्या वह पूर्णसत्य हैं इसका जवाब हैं नहीं ! शिवराज जो कह रहे हैं वह अर्धसत्य हैं शिवराज सिंह मन से कभी पूर्णसत्य कहते ही नहीं हैं पूर्ण सत्य तो यह होता कि वह बताएं कौन से मीडिया हॉउस उनसे पैकेज के नाम पर पैसा मांगते हैं , कौन से पत्रकार हैं जो उन पर दवाब बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे ऐसे लोगो के नाम सार्वजानिक करें, क्योंकि शिवराज सिंह हर बात पर दूध का दूध और पानी का पानी किये जाने का दम भरते हैं , तो अब करें !सार्वजनिक कार्यक्रमों में मीडिया को पैकेजखोर कहने भर से काम नहीं चलने वाला हैं शिवराज जी जिस तरह आपके मंत्रिमंडल से लेकर अफसरशाही तक में तमाम भ्रष्ट बैठे हुए हैं उसी तरह मीडिया में भी कुछ लोग "पैकेजखोरी" में लगे होंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता,लेकिन कुछ भ्रष्टों कारण जैसे आपको भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता ठीक ऐसे ही कुछ पैकेजखोरों के कारण सारा मीडिया भी पैकेजखोर नहीं हो सकता वैसे शिवराज जी, जब आप सच बयान करने का दम भरते हैं तो आपको यह भी बताना चाहिए कि आपके राम राज्य में मीडिया को इस पैकेज खोरी की जरूरत क्यों पड़ी ? आपकी सरकार ने ऐसा क्या कर दिया के आपको पैकेज डीलिंग शुरू करना पड़ी क्या राजनैतिक धरातल पर भाजपा भोंथरी हो गई या फिर सरकारी कारिंदों की काली करतूतें छुपाने के लिए सिवाए मीडिया को पैकेज का दाना चुगाने के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा था शिवराज सिंह आप एक बेहतरीन इंसान हैं , सत्य से आप दायें बाएं नहीं होते, यह आपकी खूबी में शुमार हैं, तो फिर सिर्फ अर्धसत्य क्यों ? मीडिया के इमानदार घराने मीडिया से जुड़े इमानदार पत्रकार सब आपसे जानना चाहते हैं कि कौन पैकेजखोर और क्यों पैकेजखोरी? आपका बाकि बचा अर्धसत्य जरुर कुछ लोगो की दुखती रग दबा देंगा , लेकिन तमाम ईमानदार लोग आपके कांधे से कांधा मिलाकर खड़े हो जायेंगे वैसे आपको भी यह समझ लेना चाहिए कि लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव में अपनी बात को दम से कहने के लिए पैकेज के ऑफ़र राजनैतिक दल ही देते हैं तब मीडिया के बिकाऊ लोगो को पालतू कुत्ता बनाने का काम आप जैसे नेता ही करते हैं "वॉच डॉग" पैकेज के चक्कर में कब "पेट डॉग" बन जाता हैं ये न उसे मालूम पड़ता हैं न आप जैसे सियासत करने वालों को जब आपके यही पालतू भस्मसुर बनने लगते हैं,तो आप मंचों से त्राहिमाम त्राहिमाम चिल्लाने लगते हैं मीडिया के कुछ लोगों कि पैकेज खोरी से शिवराज सिंह हताहत हैं , उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से छोटे बड़े चुनावों का सिलसिला चल रहा हैं तो पैकेजखोरी कि दुकाने भी चल रही हैं ऐसे में शिवराज सिंह की यह मांग इस मामले पर उनका दर्द और डर बयान करने के लिए पर्याप्त हैं कि देश में सभी चुनाव एक साथ हों ताकि समय और पैसे कि बर्बादी को रोका जा सके बहरहाल जो भी हैं शिवराज सिंह ने जब पैकेज पुराण शुरू किया हैं तो अब उनसे यह उम्मीद भी हैं कि वे इसके अगले अध्याय को पूरा करके ही समाप्त करेंगे नहीं तो अर्धसत्य बोलने का पुण्य उन्हें मिलेगा और अर्धसत्य छुपाने के पाप के भागी भी वे ही बनेंगे
(www.anuragupadhyay.com से साभार)
1 comment:
इनको पाप नहीं लगता. :)
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
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