Wednesday, March 10, 2010

क्या हैं अवधेश बजाज होने के मायने?


ब्लॉग की बात
कभी भई कोई बड़ा नहीं होता और न ही कोई एसा होता है की जिसके बिना काम रुक जाए। दरअसल हर शख्स का एक समूह होता है, जो उसके लिये सोचता है और कुछ करता भी है। कई बार ऐसा होता है की कोई व्यक्ति व्यवस्था पर भरी पड़ जाता है। ऐसे शख्स को अलग- अलग नामों से भी जाना जाता है। कभी-कभी ऐसे शख्स को लेकर बहस छिड़ जाती है और उसमें शामिल होते हैं ब्लॉगर। भोपाल से संचालित दखल ने हल ही में पीपुल्स अख़बार के मीडिया सलाहकार बने अवधेश बजाज को लेकर एक आर्टिकल लिखा है। जिसे शहर भर में चटकारे लेकर पड़ा जा रहा है। इस आर्टिकल को लिखा है मोतीलाल ने। जो की दखल के नियमित लेखक हैं। पेश है हुबहू दखल का वह आर्टिकल। इसको पड़ने के बाद तय जनता खुद तय करे की क्या जो हुआ वह सही था?
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क्या किसी पत्रकार का ऐसा खौफ हो सकता हैं कि अगर किसी संस्था से जुड़े तो वहां का संपादक और पत्रकारिता की आड़ में तेल बेचने वाले और बस चलने वाले लोग मैदान छोड़ कर भाग जाएँ जी हाँ ऐसा ही हुआ हैं भोपाल के पीपुल्स समाचार में जब वहां वरिष्ठ पत्रकार अवधेश बजाज सलाहकार बन के पहुंचे तो संपादक राघवेन्द्र सिंह अपनी टीम सहित मैदान छोड़ कर भाग गए जो लोग अवधेश बजाज के साथ काम कर चुके हैं या उन्हें जानते हैं उन्हें पता हैं यह शख्स वर्कएडिक्ट हैं इसे काम का नशा इतना हैं कि १२ से १८ घंटे तक कुर्सी पर बैठकर काम करना इसे आता हैं यह अख़बार के पन्ने के तेवर और कलेवर दोनों को बदलना जनता हैं, यही वजह हैं कि अवधेश बजाज के विरोध में तमाम वे लोग खड़े मिल जायेंगे जो पत्रकारिता कि आड़ में छोड़ पत्रिकारिता सब कुछ करते देखे जा सकते हैं बजाज ने बीस सालों में कई संस्थानों को जमीन से उठा के खड़ा किया और जब बजाज वहां से निकले तो वे संसथान वापस जमीन पर लेटे नजर आए आप को यकीन न हो तो भोपाल नवभारत और जागरण का हश्र देखा जा सकता हैं बजाज ने इन दोनों अख़बारों को जिस बुलंदियों पर पहुचायां था वो काम उनके बाद न तो मलय श्रीवास्तव के बूते का था ना पंकज पाठक के और ना ही मृगेंद्र सिंह के बजाज की चर्चा हम यहाँ पीपुल्स समाचार को लेकर कर रहे हैं बजाज की आमद के बाद इस अख़बार में जो परिवर्तन आयें हैं वे उसे अचानक दैनिक भास्कर के समकक्ष ले आयें हैं बजाज पीपुल्स संभालेंगे इस खबर ने ही कई लोगो का हाजमा बिगड़ दिया, भोपाल में बंडी और चश्मा पहन कर कई धंधे बाज बुद्धिजीवी पत्रकार बन गए हैं ऐसे ही एक बुद्धिजीवी भोपाल के चारइमली इलाके में बजाज को कोसने में लगे हैं इन साहब ने अपने कुछ दलाल साथियों के जरिये पीपुल्स के मालिकान तक खबर भेजी कि जिसे रख रहे हो वो शेर नहीं दीमक हैं अब सवाल उठता हैं अवधेश बजाज शेर हो या दीमक भाई तेरे पेट में क्यूँ दर्द हो रहा हैं यह बंडीबाज पत्रकार अकेले नहीं थे जिनके पेट में बजाज ने जुलाब का काम किया हैं ऐसे न जाने कितने बहरूपिये पत्रकार हैं जो बजाज के पासंग भी नहीं हैं लेकिन उनके बारे में बकवास जरुर करते हैं एक और चरित्रहीन पत्रकार भोपाल में हैं जिन्हें दो सालों में दो बार महिलाओं के जूते खाने पड़े हैं इनका मुख्य काम दलाली हैं इन्हें भी अवधेश बजाज से खासी परेशानिया हैं इन्होने पीपुल्स खबर भिजवाई कि गलत आदमी को रख रहे हो लेकिन कहते हैं हाथी की मदमस्त चल पर कुत्तों के भोंकने का असर नहीं होता ...... और यही हुआ , बजाज पूरी मस्ती से अपने काम में लगे हैं यहाँ बता देना जरुरी हैं बजाज को कोसने वाले दूसरे साहब दो साल पहले एक स्टिंग ओपरेशन में फंस गए और पत्रकार के रूप में छुपा औरतखोर सबके सामने आ गया तब यह चरित्रहीन सबसे पहले अवधेश बजाज के ही चरण चुम्बन करने पंहुचा था बजाज ने जब ऐसे घटिया आदमी का साथ देने से मना किया तो यह उनके विरोधी हो गए हालाँकि बजाज सामने हो तो यह चाँद लम्हों में अपना पेंट गीला कर लेता हैं बजाज के किस्से का हाल भी उस कहावत जैसा हो गया हैं कि "सूप बजे तो बजे यहाँ तो सौ छेद वाली चलनिया भी बज रही हैं " अवधेश बजाज का खबरों के प्रति समर्पण और काम करने का विशिष्ठ अंदाज उन्हें तमाम लोगो से अलग कर देता हैं यही वजह हैं कि वे अपने समकालीन पत्रकारों में एक अलग स्थान रखते हैं
बजाज कि नजर कुछ पंक्तियाँ ........
हमारी वफायें तुम्हारी जफ़ाओं के सामने
जैसे छोटा सा दिया तेज हवाओं के सामने
नेज़े पर भी हमेशा बुलंद रहा सर मेरा
झुका नहीं कभी झूठे खुदाओं के सामने

मप्र विधानसभा में बढेगी पत्रकारों की सुविधा

kya ho suvidhaye iske liye banai 6 sadsyeey samiti।
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में अब पत्रकारों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा। ये तय hua mangalwar ko विधानसभा में hui patrkar deergha samiti की baithak main। ये baithak mangalvar ko विधानसभा upadhyksh dr harvansh singh की adhykshta में sampann hui। harvansh singh ne kaha की विधानसभा ke covrage ke douran पत्रकारों की सुविधाओं का paryapt ध्यान रखा jaana chahiye। unhe kisi tarh की pareshani nahi hona chahiye। unhone kaha की niymit roop se nikalne vaale samachar patron ke pratinidhiyon ko hi patrkar deergha ke pravesh patr prdan kiye jaaye। is avsar par पत्रकारों ke sthai photo yukt prvesh patr jaari karne ke maapdand neeti sambandhi prkriya ke niytan v naveen aavedan patron par vichar kar nirnay lene ke liye 6 sadsyeey up samiti का gathan kiya gaya।
is baithak में bani us samiti में patrika ke state beuro cheif dhanjay prtap singh, star news ke brijesh rajput, sharad dwedi, dinesh nigam, ranjan shrivastav ke saath saaini ks shamil hain। paden sachiv suchna adhikari deepak duby honge। samiti dus din में apna prtivedan patrkar deergha salahkar samiti ko soupegi।

पत्रकारिता के पर्चे में पकड़े गए नकलची

भोपाल. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में चल रहीं पत्राचार पाठच्यक्रमों की परीक्षाओं में गड़बड़ियां देखने में आ रही हैं। मंगलवार को पत्रकारिता पाठच्यक्रमों के पर्चे में उड़नदस्ते ने परीक्षार्थियों के पास से नकल सामग्री बरामद की। परीक्षा केंद्र और डच्यूटी कर रहे कर्मचारियों की योग्यता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विवि के शारीरिक शिक्षा संस्थान में पत्राचार के एमजेएमसी और बीजेएमसी पाठच्यक्रमों की परीक्षाएं कराई जा रही हैं। मंगलवार को इस परीक्षा में नकल की सूचना मिलने पर उड़नदस्ते ने यहां निरीक्षण किया। उनके आते ही परीक्षा केंद्र में हड़कंप मच गया। दस्ते ने हर छात्र की तलाशी ली, जिसमें दो छात्रों के पास से नकल के बड़े पर्चे बरामद किए गए। उड़नदस्ते ने वीक्षकों की लापरवाही पर भी आपत्ति ली और सभी छात्रों को पूरी तलाशी लेने के बाद प्रवेश कराने के निर्देश दिए।
अपात्र करा रहे परीक्षा
विश्वविद्यालय ने परीक्षा कक्ष में वीक्षक की डच्यूटी के लिए जिन कर्मचारियों को नियुक्त कर रखा है, वे इसकी पात्रता ही नहीं रखते हैं। परीक्षा कक्ष में पत्राचार संस्थान में टच्यूटर किरण त्रिपाठी, शारीरिक शिक्षा संस्थान में कोच के पद पर पदस्थ नितिन गरुड़, खेल अधिकारी खलील खान वीक्षक की डच्यूटी कर रहे हैं।
कोई जवाब नहीं
कुलसचिव डॉ. संजय तिवारी ने कहा कि संबंधित विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं इसलिए उन्हें समन्वयक बनाया गया है। हालांकि अन्य सवालों पर वे चुप्पी साधे रहे।

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