Thursday, January 15, 2009

पत्रकार अच्छे राजनेता हैं कोई शक?

मेरे दोस्त और वरिष्ठ पत्रकार सचिन के एक-एक शब्द में सच्चाई है और उनके शब्द सोचने के लिए भी मजबूर करते हैं। में ये टिप्पणी उनके ब्लॉग पर भी लिख सकता था, लेकिन ऐसी बहुत सी बातें हैं जो दिल में थी और सचिन भाई के ब्लॉग सचिन की दुनिया पर राजनीति तो करनी ही पड़ेगी यारों पड़कर वे बातें फ़िर से जेहन में घूमने लगी है। कभी में भी राजनीति को पसंद करता था लेकिन समय का चक्र घूमा और में राजनीति की बजाय
पत्रकारिता में में आ गया लेकिन राजनीति करने की भड़ास दिल में दबी थी। उस भड़ास को निकालने के लिए कई बार कोशिश भी की लेकिन दोस्तों हर बार समय एसा आया जिसने मुझे पत्रकारिता और राजनीति में से एक कोई चुनने के विकल्प दिए और हर बार पत्रकारिता जीत गई।
लेकिन राजनीति में युवाओ को आना चाहिए इस बात को हमेशा सबसे ऊपर रखूंगा। दरअसल हम सभी ये सोचते हैं की फला व्यक्ति अच्छा राजनेता साबित हो सकता है क्योंकि हम वेसा नही बनना चाहते है। अब सवाल की हम पत्रकार क्या कर सकते हैं शायद हम अच्छे राजनेता खोज सकते हैं और उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं और एक अच्छे राजनेता की तरह देश के लिए काम कर सकते हैं।
फिलहाल देश के पास राजनेता नही हैं और एसा होता तो उमा भारती और कल्याण सिंह को शेखावत का पल्लू नही पकड़ना पड़ता?

Tuesday, January 13, 2009

मरने से पहले sms भेज कर गहना को बचा लीजिये?

गहना को माँ बनना चाहिए या नही ये तो बालिका वधु के निदेशक तय करेंगे लेकिन sms के जरिये जो परिणाम सामने आ रहे हैं उससे तो लगता है की देश की जनता नही चाहती है की गहना माँ बने।
अफ़सोस तब होता है जब sms भेजने वाले के पड़ोस में कोई गहना माँ बन जाती है और हम sms करते हैं मगर इस बात का की एक नाबालिग माँ बन गई है और उसकी मौत हो गई है और उसका पैदा बच्चा भी ख़त्म हो गया है।
शायद पड़ोस में मरने वाली गहना की मौत पर हम आंसू भी बहा लेते होंगे लेकिन जिस गहना की ख़बर अख़बार में छपती है उसकी मौत पर आंसू बहाना तो दूर चर्चा करने की फुरसत हमारे पास नही होती है। अभी सीरियल ख़त्म हुआ तो पडोसियों में गहना के माँ बनने को लेकर बहस छिड़ गई लेकिन ये बहस पड़ोस में मरने वाली गहना की मौत पर छिडेगी ?

Monday, January 12, 2009

अब मीडिया भी होगा सरकार की मेहरबानी का मोहताज़

मीडिया की ख़बर
Written by media Reporter
मीडिया जिसे हर गरीब और अमीर अपना अन्तिम हथियार मानता है भी सरकार की मेहरबानी का मोहताज़ होने वाला है। केन्द्र सरकार जल्द एक कानून लागु करने वाली है जिसके बाद किसी भी चेनल को अपने कार्यक्रम दिखाते समय पुलिस और ब्यूरोक्रेट की अनुमति की जरूरत होगी। और अधिक जानकारी के लिए मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के लिए 'काला कानून' ! पड़े bhadas4media ।

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