Saturday, September 05, 2009

ख़बरों की मारामारी में कैटरीना की प्रेस कांफ्रेंस से राहत

खबरों के लिए मारामारी के इस दौर में फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस की क्या अहमियत होती है। आप जानते ही हैं। अगर पत्रकारिता जीवन के शुरूआती दौर में कैटरीना और रणवीर जेसे सितारों को कवर करने मौका मिले तो फ़िर कहना ही क्या। 5 सितम्बर के दिन भोपाल के नूरउस सबाह होटल के कांफ्रेस हाल का नज़ारा आज कुछ ऐसा ही था। करीब 50 से ज्यादा कैमरामेन और पत्रकार सभागर में मौजूद थे। इनमे नए पत्रकारों का उत्साह देखने लायक था। आइये जानते है नए नवेले पत्रकार दिलनवाज/सुशील की जुबानी आज हुई पत्रकार वार्ता का आंखों देखा हाल।
लाइव- पत्रकारिता जीवन की पहली कांफ्रेंस, हमारे उत्साह-उत्तेजना का आप अंदाजा भर लगा सकते हैं। कांफ्रेंस में हम पहुंच तो बड़े उत्साह से फिर लगा जो खबरें हमारे हाथ लगेंगी वो तो हमारे मीडियाकर्मी बाकी भाइयों के हाथों में भी जाने वाली हैं। हम यहां से क्या अलग, क्या एक्सक्लूसिव लेकर जाने वाले हैं। हम पर हमारा खुद का ही दबाव था कि कुछ अलग हटकर निकाला जाए...कुछ सूझ नहीं रहा था। आइडिए के लिए हमने आपस में ही सिर भिड़ाया, एकाएक एक आइडिया क्लिक कर गया...क्यों ना इसी प्रेस कांफ्रेंस की ही लाइव रिपोर्टिंग कर डाली जाए...किसी कांफ्रेंस की जितना लिखा, दिखाया जाता है उससे इतर वहां बहुत कुछ होता है, बताने को...फिर ये तो फिल्मी सितारों की कांफ्रेंस थी,बस हमने तय कर लिया आपको शब्द दर शब्द अवगत कराएंगे इस कांफ्रेंस के हर वाकए से... क्यों भई जब कैटरीना हो, रणबीर हो और प्रकाश झा भी हों तो और सामने हों ढेर सारे मीडियाकर्मी तो खबर से इतर कितना कुछ होता है जो खबर बन सकता है... घंटेभर पहले पहुंचे, आगे की कुर्सियों पर जम गए...अपने जीवन की पहली प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए हम इतने उत्साहित कि कांफ्रेंस हाल में समय से एक घंटा पहले ही पहुंच गए। भोपाल के नूरउस सबाह होटल के कांफ्रेस हाल में लगभग 20 वेटर और उनका मैनेजर व्यवस्था करने में जुटे थे। कुर्सियां लगी थीं हम बिना मौका गवाएं सबसे अगली लाइन में जाकर बैठ गए। जब हमने अपनी दांई तरफ देखा तो प्रकाश झा जी (निर्माता-निर्देशक राजनीति फिल्म) और पटकथाकार अजुंम रजब अली जी आपस में बातें कर रहे थे। बॉलीवुड की दो मसहूर हस्तियों का अपने इतना करीब बैठे हुए देखते ही हमारे अंदर का पत्रकार जाग गया और बिना मौका गवांए हमने प्रकाश झा जी से अनुमति लेकर उनपर नौसिखिए पत्रकारों जैसे प्रश्न दागने शुरु कर दिए। झल्लाए झा,बोले-रणबीर तो अभी बच्चा... हमारा पहला प्रश्न था...इतने संवेदनशील मुद्दे पर बनने वाली फिल्म में आप यूथ आईकॉन रणबीर कपूर को अहम भूमिका में रख रहे हैं क्या आप भारतीय राजनीति में युवाओं के प्रवेश को दिखाना चाहते हैं। तो इस प्रश्न पर झल्लाते हुए प्रकाश जी ने कहा कि रणबीर कपूर काहे का यूथ आईकॉन, अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं। फिल्म में और भी बड़े कलाकार हैं जैसे नानापाटेकर जी, अजय देवगन, मनोज वाजपेयी और नसरूद्दीन शाह जी। जवाब सुनकर हम समझ गए कि इस संवेदनशील फिल्म में भी सांवरिया गीत गाते ही नजर आएंगे।हिम्मत जुटाकर हमने उनसे दूसरा सवाल किया - राजनीति मुद्दे पर आपको फिल्म बनाने की प्रेरणा कहां से मिली, क्या आप भारतीय राजनीति से प्रभावित हैं? इस प्रश्न के जवाब में बड़े अनमने मन से प्रकाश झा जी ने कहा कि मैं तो सिर्फ एक कहानी लोगों को दिखाना चाहता हूं लोग चाहें तो इसमें भारतीय राजनीति देख सकते हैं। शायद वो इस सवाल के लिए तैयार नहीं थे या हमारा प्रश्न गलत था। ...और बज गई फोन की घंटीइसी बीच झा जी के फोन की घंटी बजी। उधर से शायद रणबीर बात कर रहे थे। उन्होंने क्या कहा हमने ठीक से नहीं सुना लेकिन जो झा जी ने कहा वह हम आपको बता रहे हैं- नहीं बाबा अभी मत आओ कुछ पत्रकारों को इकट्ठा होने दो। जैसे ही पत्रकार आते हैं मैं रिंग कर दूंगा। तुम लॉबी से होते हुए आ जाना। फोन कट॥मैं तो सिर्फ कहानी दिखा रहा हूं,प्रेरणा आप ले लें...बरहाल हिम्मत करते हुए हमने दूसरा प्रश्न किया - आपकी फिल्म राजनीति मौजूदा भारतीय राजनीति की समस्याएं उजागर करेंगी या भारतीय राजनीति को भविष्य का रास्ता दिखाएगी। इस सवाल का जवाब भी वही आया। मैं सिर्फ एक कहानी दिखा रहा हूं। अब तक हमारे सवाल करने के हौसले पस्त हो चुके थे लेकिन फिर भी पत्रकारों की मर्यादा का मान रखते हुए हमने एक और सवाल करने की कोशिश की। आपकी यह फिल्म क्या संदेश देगी-जवाब फिर वही था, मैं एक कहानी पर काम कर रहा हूं। कोई खास संदेश देने का मकसद नहीं है लोग चाहें तो इससे प्रेरणा ले सकते हैं।काहै का वन टू वन इंटरव्यू, मसाला चाहिए क्या...झा जी के जवाबों के सामने हमारे सवाल पस्त हो चुके थे और हम चुपचाप अपनी जगह पर वापस आकर बैठ गए और इसी बीच हमारी एक पत्रकार साथी धड़धड़ाते हुए कांफ्रेंस हॉल में आईं और सीधे जाकर झा जी के सामने खड़ी हो गईं। हम समझ गए थे कि वो जरूर एक परिपक्व पत्रकार हैं। हमारी तरह वो किसी परिचय की मोहताज नहीं थी। झा जी उन्हें पहचान गए और जो सैंडविच खा रहे थे उन्हें भी ऑफर किया। उन्होंने सैंडविच तो नहीं खाया लेकिन झा जी से एक निवेदन जरूर किया। वो आज के कांफ्रेंस के सितारे कैटरीना और रणबीर का वन-टू-वन (व्यक्तिगत साक्षात्कार) करना चाह रही थीं। झा जी ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा कि यह मेरे बस की बात नहीं है और आप भी जानती हैं कि टीवी चैनलों के वन-टू-वन इंटरव्यू में क्या होता है। कोई गंभीर बात तो नहीं होती सिर्फ व्यक्तिगत प्रश्न करके मसाला खबर निकालने की ही होड़ रहती है।महिला पत्रकार अब हमारे बगल आकर बैठ गई और अगले आधे घंटे तक हम ऐसे ही बैठे रहे। उसके बाद हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो कांफ्रेंस भवन साथी पत्रकारों से गुलजार हो चुका था। इलोक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार अपना कैमरा सेट करने में व्यस्त हो गए। कैटरीना-रणबीर की एंट्रीकुछ समय बीतने के बाद कैमरों की चमचमाती रोशनी के बीच और बॉडीगार्ड की सुरक्षा के साए में कैटरीना कैफ और रणबीर कपूर ने माइक के पीछे जगह संभाली। कांफ्रेंस की शुरुआत में सितारों ने भोपाल का शुक्रिया अदा किया और फिर शुरु हो गया सवालों का सिलसिला।पहला सवाल - एक साथी पत्रकार ने पूछा आपकी फिल्म की कहानी क्या है? (हम आपको बता दें कि फिल्म 10 महीने बाद रिलीज होनी है)झा जी का जवाबः यह फिल्म एक राजनीतिक परिवार की कहानी है जिसका मौजूदा किसी परिवार से संबंध नहीं है।अगला सवाल - क्या फिल्म में रणबीर और कैटरीना राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भूमिका निभा रहे हैं?जवाब - नहीं वो दोनों प्रेमी हैं।...और कांफ्रेंस का केन्द्र बन गईं कैटरीनाअब कैटरीना कैफ पत्रकारों की जिज्ञासा का केन्द्र बन चुकी थी और हमारी बाईं तरफ बैठे एक अतिउत्साहित पत्रकार मित्र ने पूछा कि - कल सलमान खान ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कैटरीना विवेक ओबरॉय जैसे इडियट के साथ काम करे यह मुझे पसंद नहीं।कैटरीना का जवाब - इस सवाल पर कैटरीना कैफ थोड़ा परेशान दिखीं और बगल में बैठे झा जी की तरफ देखा। कुछ सोचकर वो बोलीं कि अगर सलमान चाहते हैं तो मैं विवेक के साथ काम नहीं करूंगी।अगला सवाल भी कैटरीना से ही सलमान के बारे में था -सवाल - सलमान खान का कहना है कि वो आपकी फिल्में इसलिए नहीं देखते क्योंकि आप छोटे कपड़े पहनती हैं?जवाब - कैटरीना ने मुस्कराते हुए कांफ्रेस में पहनी सूट की तरफ देखकर बोला कि आज शायद सलमान मुझे देखकर खुश हो जाएं।...और झल्ला गए रणबीरलगातार कैटरीना और सलमान पर किए जा रहे सवालों पर पास में बैठे रणबीर कपूर ने झल्लाते हुए कहा कि कुछ बातें फिल्म के बारे में कर लीजिए। अगर सलमान से ही बात करनी है तो कैटरीना से उनका नंबर लेकर बात कर लें।अब पत्रकार बंधुओं को ध्यान आया कि यहां पर रणबीर भी बैठे हैं, अगला सवाल उन्हीं से था॥सवाल - राजनीति जैसी बड़ी फिल्म में काम करके आपको कैसा लग रहा है?जवाब - मुझे इस फिल्म में काम करके अपनी छवि बदलने का मौका मिल रहा है। साथ ही प्रकाश झा और नानापाटेकर जैसे वरिष्ठ लोगों के साथ काम करना मेरे लिए सीखने का मौका है।कई और सवाल रणबीर से हुए जिनमें रोचकता नहीं थी - एक बार फिर पत्रकार साथी फिल्म राजनीति की ओर लौटे और झा जी से फिल्म की कहानी उगलवाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी झा जी सबके साथ राजनीति खेल गए - झा का राजनीति की तरफ रुझानसवाल - क्या राजनीति फिल्म के जरिए आप भारतीय राजनीति में अपने लिए जगह तलाशना चाहते हैं?जवाब - मैं हमेशा ही राजनीति के करीब रहा हूं। बिहार की राजनीति से प्रेरणा ली है कुछ बातें हैं जिन्हें मैंने समझा है उन्हें दिखाना चाहता हूं।टिकट मिला तो लड़ूगीं चुनाव!सवाल - अभी तक आपने रोमांटिक फिल्में की हैं, इस फिल्म में आप एक राजनेता की भूमिका में होंगी। क्या आप अपने आपमें एक पॉलिटकल आइकॉन देखती हैं?जवाब - मुस्कराते हुए कैटरीना ने कहा, झा जी अगर पार्टी बनाते हैं तो एक टिकट मैं भी ले लूंगी।कई और सवाल भी हुए जवाब भी आए और अंतत: झा जी को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि चाय और नाश्ता आपका इंतजार कर रहा है। और सितारे कैमरों की चमक से दूर अपने रूम की ओर चले गए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आए पत्रकारों का वन-टू-वन करने का सपना धरा का धरा रह गया।चमकते रहे कैमरेपूरी कांफ्रेंस के दौरान शायद एक भी सेकेंड ऐसा रहा हो जब कैमरों के क्लिक की आवजें कानों में ना पड़ी हो। हम यह नहीं समझ पाए कि हमारे कैमरामैन बंधु आखिरकार कौन सी विशेष फोटो लेना चाहते हैं। कलाकार जब आए थे उनके कैमरे चमक रहे थे और जबतक वो गए कैमरे चमकते रहे।

1 comment:

Anonymous said...

ख़बरों की मारामारी? ज़रा अपने आसपास नज़रें दौड़कर ईमानदारी से देखिये आप लोग कितनी ख़बरों को हवा देते हैं और कितनी खबरें खबर बनने से पहले ही दम तोड़ देती हैं.

इस दो कौडी की प्रेस कांफ्रेंस पर इतना बेहतरीन लिखने के लिए बधाई, मेरे पत्रकार दोस्त.


हर तारीख पर नज़र

हमेशा रहो समय के साथ

तारीखों में रहता है इतिहास