Thursday, April 29, 2010

ये तो कुछ भी नहीं.....

भोपालजबलपुर से एक रिपोर्ट भड़ास4 media par प्रकाशित हुई है की जबलपुर के कलेक्टर ने पत्रकारों को अपमानित करने वाली टिप्पणी की है. यु तो मामला गंभीर है लेकिन मध्य प्रदेश की पूरी स्थिति देखें तो हर दिन एक वाकया मिल जायेगाये तो कमिश्नर हैं, यहाँ के तो एसडीएम भी सवाल पसंद नहीं आने पर नए पत्रकारों से कह देते हैं की पहले सवाल करना सीख लोइतना ही नहीं दैनिक भास्कर भोपाल के फोटो जर्नलिस्ट ने जब कुछ किसानों के साथ जाकर उनकी समस्या ओबेदुल्लागंज ब्लाक( ये मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में) के एसडीएम संजय सिंह के सामने रखी तो उन्होंने फोटो जर्नलिस्ट को दलाल कह दियाइस टिप्पणी का मकसद किसी को आहत करना कतई नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश में पत्रकारों के अपमान की बानगी जरुर है

ये है वो खबर
पत्रकारों से बोले कमिश्नर- चुल्लू भर पानी में डूब मरो
पत्रकारों के सवालों से झल्लाए जबलपुर के कलेक्टर ने पत्रकारों को चुल्लू भर पानी में डूब मरने की नसीहत दे डाली. उन्होंने ये बात उस समय कही जब पत्रकार शहडोल संभाग के कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी से उनकी नयी कार के बारे में पूछ रहे थे. मामला उस समय हुआ जब मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री राघव जी जबलपुर में जबलपुर, शहडोल और रीवा संभाग की समीक्षा बैठक लेने आये थे.

इस समीक्षा बैठक में शहडोल संभाग के कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी बिना नंबर की लक्जरी फोर्ड इन्डिवर वाहन में जबलपुर आये थे. जब ये बात पत्रकारों को पता चली तो उन्होंने वित्त मंत्री के जाते ही कमिश्नर साहब को घेर लिया और उनसे इस लक्जरी फोर्ड इन्डिवर वाहन के बारे में सवाल दाग दिए. कमिश्नर साहब अपना बचाव करते हुए कहने लगे की सरकार ने ये सुविधा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कलेक्टर और कमिश्नर को प्रदान की है. इसी कारण इस सुविधा का लाभ हम उठा रहे हैं. ये बात जबलपुर कलेक्टर गुलशन बामरा को ठीक नहीं लगी और उन्होंने पत्रकारों को नसीहत देते हुए कहा की इस तरह के सवाल आप लोगों को यहां नहीं करने चाहिए. कमिश्नर साहब हमारे मेहमान है और उनसे इस तरह के आप लोग सवाल कर रहे हैं. आप लोगों को तो चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए.

अब साहब, कमिश्नर साहब आपके मेहमान हैं, और पत्रकार उनसे सवाल पूछ रहे हैं, और उन्हें इसका जवाब देने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है, तो आपको ख़राब बिल्कुल नहीं लगना चाहिए.

इधर शहडोल कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी ने ये भी कहा कि सरकार ने 15 हज़ार रुपये किराये पर कोई भी वाहन लेने के लिए कहा है. लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या 15 हज़ार रुपये में लक्जरी फोर्ड इन्डिवर वाहन किराये पर मिल सकता है. क्योंकि इस वाहन का एवरेज ही 6-8 प्रति किलोमीटर है. प्रदेश के वित्त मंत्री राघव का कहना है कि प्रदेश पर बहुत ढेर सारा कर्ज का बोझ है पर कमिश्नर साहब लक्जरी कार में घूम रहे हैं.

जबलपुर से आशीष विश्वकर्मा की रिपोर्ट

साभार-bhadas4media

Tuesday, April 27, 2010

संजीवनी

"सृजन, चिन्तन, मंथन का प्रतिरूप हो तुम,
मन की स्वरलहरिया का स्वरूप हो तुम,
विचारों के आवेग में बसने वाले,
मेरी अभिव्यक्ति, मेरी अनुभूति का अभिप्राय हो तुम,
तीव्र तृष्णा के बीच में अतृप्त सा मन,
मन की मृग-तृष्णा को दूर करने का आधार हो तुम,
नहीं लांघना मर्यादाओं की लक्षमणरेखा,
मेरे लिए जीवन का अटल सत्य हो तुम,
मन के प्रवाह पर एकाधिपत्य है तुम्हारा,
मन जीवन की स्वर्ण जड़ित पतवार हो तुम,
जीवन बेला में कुछ भी असंभव नहीं लगता,
मेरे लिए प्राणवायु और संजीवनी से बढकर हो तुम।।
डॉ.सुरेन्द्र मीणा
डी/16, बिरलाग्राम नागदा जंक्शन, जिला उज्जैन(मध्य प्रदेश)
मोबाइल-09827305628
(डॉ सुरेन्द्र मीणा पेशे से एक कालेज में प्रोफ़ेसर हैं। साहित्य में विशेष रूचि रखते हैं और नागदा में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।)

Monday, April 26, 2010

मेरी बीबी अली बाबा चालीस चोर पड़ रही है

भोपाल। किताबों का जीवन पर प्रभाव पड़ता है की नहीं ये एकदम यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन रेस्टोरेंट में बेठे एक शख्स के ऊपर केवल किताबों की चर्चा से ही असर हो गया।
दरअसल हुआ यूं की कुछ साहित्यकार काफी हॉउस में चाय की चुस्कियों के बीच पुस्तक चर्चा कर रहे थे।
एक ने कहा-पुस्तकों का जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
दुसरे ने सहमत होते हुए कहा-जैनेन्द्र कुमार ने साहित्य का श्रेय और परे में ठीक ही लिखा है की एक कहानी से या पुस्तक से कुल मिलकर एक प्रभाव पड़ना चाहिए।
सो कैसे? " तीसरे ने पूछा"
जब मेरी पत्नी गर्भवती थी तो वह सुरेन्द्र शर्मा का उपन्यास 'दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता' पड़ रही थी और उसने दो मृत जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।" पहले ने कहा।
"मेरी पत्नी गर्भवती होने के समय जेरोम के जेरोम का उपन्यास ' थ्री मेन इन ए बोट' पड़ रही थी और उसने तीन बच्चों को एक साथ इलाहाबाद में नाव में उस समय जन्म दिया जब हम लोग 'संगम स्नान' के लिए जा रहे थे, " दूसरे ने कहा।
यह सुनते ही तीसरा व्यक्ति गश खाकर कुर्सी से नीच गिरकर बेहोश हो गया। लोगों ने उसे उठाकर कुर्सी पर बैठाया और उसे किसी प्रकार होश में लाएउसके सामान्य होने पर लोगों ने उससे पूछा, " क्यों क्या हुआ? ठीक तो हो न?"
तब उसने कहा, " मैं तो ठीक हूँ लेकिन मेरी पत्नी गर्भवती है और आजकल वह' 'अलीबाबा चालीस चोर' पड़ रही है।
महेंद्र राजा जैन
8अ, बंद रोड, एलनगंज, इलाहाबाद, 211002
साभार-हंस

Tuesday, April 20, 2010

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्व विद्यालय में पीछे के दरवाजे से बडाये जाते हैं नंबर

भोपाल. देश के प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्व विद्यालय में पत्रकारिता को कलंकित करने वाले कामको अंजाम दे रहे हैं वहां के चार बाबुइन लोगों ने पेसे लेकर रिवेल्युवेशन के समय क्षत्रों के नंबर बडाये हैंइस पुरेमामले में लगातार जाँच हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलापूरा मामला कल भारताज ब्लॉग पर एक्स्पोसे होगा

Sunday, April 11, 2010

एमपी पोस्ट ने कराइ चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा

भोपाल। मध्यप्रदेश के पहले इंटरनेट समाचार पत्र एमपी पोस्ट द्वारा आज ३.३० बजे से स्वराज भवन में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का मुख्य विषय सुचना प्रोधौगिकी चुनाव और राजनीति था। इसके आलावा एमपी पोस्ट मध्य प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया का वृहद् परिदृश्य और राजनितिक अतीत पर एक डिजिटल दस्तावेज का विमोचन किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता थे देश के जाने मने एक्सिट और ओपिनियन पोल, मीडिया विशेषग्य, चेअरमेन-सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के
डॉ न भास्कर राव
विशिष्ट वक्तव्य-
राज्यसभा सदस्य और भाजपा के प्रदेश उपाध्क्ष अनिल माधव दावे।
मध्य पदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अरविन्द मालवीय।
इनके अलावा चुनाव प्रक्रिया को कवर करने वाले
पत्रकारों ने भई कार्यक्रम को संबोधित किया।
इनमें दैनिक भास्कर के स्टेट ब्यूरो चीफ श्री गणेश संकल्ले, स्टार न्यूज़ के विशेष संवाददाता श्री ब्रिजेश राजपूत, हिंदुस्तान टाइम्स के विशेष संवाददाता श्री रंजन श्रीवास्तव और इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता अम्बरीश मिश्र शामिल थे।

Tuesday, April 06, 2010

पहली बार पत्रकार आये खुद के खिलाफ

पेड न्यूज के खिलाफ इंदौर प्रेस क्लब ने निकाली स्मारिका
भोपाल। आमतौर पर नेताओं, अफसरों और दूसरे के खिलाफ लिखने वाले खबरनवीश यानि पत्रकार अब पहली बार अपने खिलाफ खबर लिखने लगे हैं। देश में पेड न्यूज को लेकर मचे हंगामे के बाद लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं के साथ–साथ पूरे देश में चौराहे–चौराहे पर चर्चा हो रही है। क्यों बिक जाते हैं अखबार मालिक? क्या कर रहे हैं पत्रकार? क्या देख रहे हैं संपादक? क्यों चुनाव के समय लाखों रुपए लेकर पाठकों को धोखा देते हुए गलत उम्मीदवारों को चुनाव जीताने के लिए सकारात्मक ही नहीं, चापलूसी की खबरें छापी जाती है।
पहले बार देश के दिग्गज पत्रकार प्रभाष जोशी ने पेड न्यूज के खिलाफ मोर्चा संभाला था। इसी बीच उनका निधन हो गया। प्रभाष जोशी और राजेंद्र माथुर जैसे पत्रकारों को समर्पित करते हुए इंदौर प्रेस क्लब ने ‘‘अपने गिरेबां में...’’ शीर्षक से स्मारिका का प्रकाशन किया है। जिसका विमोचन प्रेस कौन्सिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन न्यायमूर्ति जी.एन. रे, पद्मश्री अभय छजलानी, दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग की मौजूदगी में गत दिनों में इंदौर प्रेस क्लब में किया गया स्मारिका के कवर पेज को खूबसूरत बनाते हुए पेन की नीब से रुपए गिरते हुए बताये गए हैं। कवर पेज पर ही लिखा है ‘‘एक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओं दोस्तो, इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है’’। स्मारिका में वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी, श्रवण गर्ग, डॉ. वेदप्रताप वैदिक, हरिवंश, अभय छजलानी, रामशरण जोशी, पुण्य प्रसून वाजपेयी, ओम थानवी, पंकज शर्मा, राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, सुचेता दलाल सहित 49 पत्रकारों और राजनेताओं के भी आलेख छापे गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, भाजपा नेता अरूण जेटली, दैनिक भास्कर के संचालक सुधीर अग्रवाल, राष्ट्र संघ भय्यू महाराज, पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, न्यायमूर्ति पी.वी. सांवत ने भी अपने विचार रखे हैं। पूरे देश में पहली बार निकली इस स्मारिका में छपे लेख पढ़कर पता चलता है कि पत्रकार अब अपने खिलाफ भी लिखने लगे हैं। अखबार मालिकों की चाकरी करने वाले संपादक जो अब अखबारों के लिए जनसंपर्क अधिकारी का रोल भी निभाते हैं। उन्होंने पेड न्यूज को सही और गलत दोनों बताया। इस स्मारिका में छपे लेख हम रोजाना अपनी वेबसाइट पर पाठकों और पत्रकारों के लिए प्रकाशित करेंगे। इस स्मारिका में छपे लेख पर हम पाठकों की प्रतिक्रिया भी चाहेंगे। कृपया आप अपनी प्रतिक्रिया हमें अवश्य भेजे।

हर तारीख पर नज़र

हमेशा रहो समय के साथ

तारीखों में रहता है इतिहास