Monday, September 14, 2009

एमपी पत्रिका का एक साल, कई आए-गए

पत्रिका, भोपाल और पत्रिका, इंदौर ने मध्य प्रदेश में अपने एक साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन किया। भोपाल में आयोजित समारोह में प्रदेश के राज्यपाल समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए तो इंदौर के समारोह में मुख्यमंत्री ने हिस्सा लिया। हालांकि बाबी छाबड़ा प्रकरण के कारण इंदौर के समारोह में पत्रिका के लोग काफी डिमोरलाइज दिखे लेकिन अतिथियों की बड़े पैमाने पर उपस्थिति ने और समारोह के सफल हो जाने से इस जख्म पर मरहम का काम किया है। पत्रिका का मध्य प्रदेश में एक साल काफी उथल-पुथल भरा रहा। सरकुलेशन और ब्रांड प्रजेंस के मामले में पत्रिका ने सफलतापूर्वक अपना प्रमुख स्थान बनाया लेकिन आंतरिक उठापटक से यह अखबार काफी प्रभावित रहा। पत्रिका, भोपाल एक साल का हो गया लेकिन यहां इसी एक साल में कई स्थानीय संपादक आए-गए। अभी स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा हैं। वे पत्रिका, भोपाल के तीसरे स्थानीय संपादक हैं। शुरुआत में अजीत सिंह को स्थानीय संपादक के रूप में रखा गया था लेकिन अखबार के प्रकाशित होने से कुछ दिन पहले दिनेश रामावत को स्थानीय संपादक बनाकर अजीत सिंह को संपादकीय पेज देखने का काम दे दिया गया। प्रिंटलाइन में दिनेश रामावत का नाम जाने लगा लेकिन कुछ ही महीने बाद दिनेश रामावत को जयपुर बुला लिया गया और गिरिराज शर्मा को नया स्थानीय संपादक बना दिया गया।
इसी तरह पत्रिका, इंदौर में भी एक साल में दो स्थानीय संपादक आ-जा चुके हैं। पत्रिका की इंदौर में लांचिंग पंकज मुकाती ने कराई। बाद में उन्हें हटाकर अरुण चौहान का स्थानीय संपादक बना दिया गया। चर्चा है कि बाबी छाबड़ा प्रकरण के बाद पत्रिका प्रबंधन अरुण व कुछ अन्य को कार्रवाई के दायरे में ले सकता है। कुछ दिनों पहले स्थानीय संपादक रैंक के सिद्धार्थ भट्ट को भी पत्रिका, इंदौर भेजा गया है। इससे अब इंदौर में स्थानीय संपादक रैंक के दो-दो लोग हो चुके हैं। एक अन्य जानकारी के अनुसार पत्रिका, इंदौर के मार्केटिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जेपी शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है।

2 comments:

संगीता पुरी said...

पत्रिका भोपाल और पत्रिका इंदौर को म प्र में अपने एक वर्ष पूरा करने की बहुत बहुत बधाई !!

Udan Tashtari said...

आभार जानकारी मिली.

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

जय हिन्दी!


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