भोपाल गैस त्रासदी को २५ बरस बीत गए हैं ! इन २५ सालों में मध्यप्रदेश में बहुत कुछ बदला हैं , नहीं बदला हैं तो सिर्फ गैस पीड़ितों का दुःख-दर्द इस दर्द और दुःख को इस बार खबरिया चैलनों और अख़बारों ने भरपूर जगह दी टेलीविजन चैनल्स पर इंडिया टीवी और स्टार न्यूज़ ने इसमें बाजी मरी तो अख़बारों में दैनिक भास्कर इसके कवरेज में टॉप पर बना रहा भोपाल के गैस पीड़ितों से जुड़े दुःख-दर्द को बड़े अख़बार और टेलीविजन भुला चुके थे लेकिन गैस त्रासदी के २५ साल पूरा होने पर टेलीविजन और अख़बार एक बार फिर सकारात्मक सक्रिय भूमिका में नज़र आए २५ सालों को याद कर दैनिक भास्कर, भोपाल में ब्लैक एंड व्हाइट छपा वहीँ वरिष्ट पत्रकार राजकुमार केशवानी के संपादन में गैस कांड पर एक दस्तावेज प्रकाशित किया गया हैं जिस कारण भास्कर एक बार फिर सिरमोर साबित हुआ हैं भास्कर के ऐसे प्रयोग उसे दूसरे अख़बारों से अलग बना देते हैं भोपाल गैस कांड की २५ वीं बरसी पर इस बार न्यूज़ चैनल भी पूरी तैयारी के साथ नज़र आए स्टार न्यूज़ और इंडिया टीवी ने इसमें बाजी मारी वहीँ सबसे आगे और सर्वक्षेष्ठ का दम भरने वाला आज तक इस मामलें में फिसड्डी साबित हुआ गैस पीड़ितों की आवाज बुलंद करने के लिए बने कार्यक्रम में इंडिया टीवी का "नरसंहार" इस तरह के कार्यक्रमों में सर्वक्षेष्ठ रहा दूसरे नंबर पर स्टार न्यूज़ का "टैंक नं। ६१०" रहा तीसरे नंबर पर एन डी टीवी के बेहतरीन कवरेज को माना जा सकता हैं स्टार न्यूज़ ने हांलाकि इस कार्यक्रम को बनाने के लिए अपने एक दर्जन लोगो को लगाया और भरपूर पैसा खर्च किया लेकिन इस सब के बावजूद वह उतना कैचिंग नहीं बना जितना इंडिया टीवी का "नरसंहार" भोपाल गैस त्रासदी पर बने कार्यक्रमों से एक बात फिर साफ़ हो गई कि विज्युअल , स्क्रिप्ट और कुल मिलाकर पैकेजिंग अच्छी हो तो दर्शक हर खबर देखता हैं स्टार न्यूज़ के ब्रजेश राजपूत और उनके एक दर्जन साथी "टैंक नं. ६१० को" लाव लश्कर के साथ तैयार कर रहे थे तो बाकी चैनल के रिपोर्टर अकेले अपनी कैमरा टीम के साथ लगे थे इंडिया टीवी के अनुराग उपाध्याय के "नरसंहार" और एन डी टीवी की रुबीना खान शापू के कवरेज को इस मामले पर एक मिसाल माना जा सकता हैं यह पहला मौका हैं जब चैनल और अख़बार एक साथ किसी एक जन त्रासदी से जुड़े मामले पर एक राय नज़र ही नहीं आए उन्होंने आम लोगो कि आवाज भी जमकर बुलंद की
साभार-दखल नेट
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