Monday, April 26, 2010

मेरी बीबी अली बाबा चालीस चोर पड़ रही है

भोपाल। किताबों का जीवन पर प्रभाव पड़ता है की नहीं ये एकदम यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन रेस्टोरेंट में बेठे एक शख्स के ऊपर केवल किताबों की चर्चा से ही असर हो गया।
दरअसल हुआ यूं की कुछ साहित्यकार काफी हॉउस में चाय की चुस्कियों के बीच पुस्तक चर्चा कर रहे थे।
एक ने कहा-पुस्तकों का जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
दुसरे ने सहमत होते हुए कहा-जैनेन्द्र कुमार ने साहित्य का श्रेय और परे में ठीक ही लिखा है की एक कहानी से या पुस्तक से कुल मिलकर एक प्रभाव पड़ना चाहिए।
सो कैसे? " तीसरे ने पूछा"
जब मेरी पत्नी गर्भवती थी तो वह सुरेन्द्र शर्मा का उपन्यास 'दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता' पड़ रही थी और उसने दो मृत जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।" पहले ने कहा।
"मेरी पत्नी गर्भवती होने के समय जेरोम के जेरोम का उपन्यास ' थ्री मेन इन ए बोट' पड़ रही थी और उसने तीन बच्चों को एक साथ इलाहाबाद में नाव में उस समय जन्म दिया जब हम लोग 'संगम स्नान' के लिए जा रहे थे, " दूसरे ने कहा।
यह सुनते ही तीसरा व्यक्ति गश खाकर कुर्सी से नीच गिरकर बेहोश हो गया। लोगों ने उसे उठाकर कुर्सी पर बैठाया और उसे किसी प्रकार होश में लाएउसके सामान्य होने पर लोगों ने उससे पूछा, " क्यों क्या हुआ? ठीक तो हो न?"
तब उसने कहा, " मैं तो ठीक हूँ लेकिन मेरी पत्नी गर्भवती है और आजकल वह' 'अलीबाबा चालीस चोर' पड़ रही है।
महेंद्र राजा जैन
8अ, बंद रोड, एलनगंज, इलाहाबाद, 211002
साभार-हंस

1 comment:

Udan Tashtari said...

हा हा!! बहुत मजेदार!


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तारीखों में रहता है इतिहास