Saturday, December 27, 2008

नव विचार हो नव बहार हो

प्रिन्स दैनिक भास्कर ग्रुप के इलेक्ट्रानिक मीडिया बीटीवी मैं प्रोड्यूसर हैं और अहा जिंदगी जेसे बेहतरीन कार्यक्रम तैयार करते हैं। उनके प्रोग्राम खास लोगो की आम जिन्दगी को सामने लाते हैं और खास को आम से जोड़ने में मदद करते हैं। ये कविता उन्होंने मुझे फ़ोन पर सुनाई और मेने उसी समय उनसे इसे मीडिया हाउस पर प्रकाशित करने का अनुरोध किया और उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। प्रिन्स गुप्ता की ये कविता नव वर्ष के आगमन के लिए तो है ही,नए वर्ष में नया जोश भी भरती है। - भीमसिंह मीणा
प्रिन्स गुप्ता

नव संचार हो
" नव विचार हो,
" नव बहार हो,
" नव संचार हो,
नव ज्योत जले
नव सोच चले
जीवन में नवाचार हो
मन कोमल में नव उद्गार हो
जीवन की आपाधापी मैं हर पल नवसंचार हो।
छुपी मन जिज्ञासा का उत्कर्ष आधार हो । ।
जीवन चले सृष्टि फले मन में यह सदविचार हो
चंचल जिजीविषा का न यहाँ कोई स्थान हो । ।
कठिन भले ही हो रही हो जीवन डगर।
थकान का पर नमोनिशान ना हो।
तू चलता चल ऐ मना (maanav) जीवन में कहीं विश्राम ना हो।
कर्त्तव्य पथ हो कठिन पर जीवन में कहीं विराम ना हो
" नव विचार हो,
"नव बहार हो,
" नव संचार हो ,

नव वर्ष मंगलमय हो

2 comments:

संगीता पुरी said...

" नव विचार हो,
"नव बहार हो,
" नव संचार हो ,
नव वर्ष मंगलमय हो
बहुत सुंदर
आप सबों के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो।

Bahadur Patel said...

badhiya hai.
premchand ki tasveer par majdoor hoon wali panktiyan behad prabhavi hai.


हर तारीख पर नज़र

हमेशा रहो समय के साथ

तारीखों में रहता है इतिहास