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Saturday, May 16, 2009

बड़े पत्रकार लड़की के साथ ?

मध्य प्रदेश के एक प्रसिद्द चेनल के प्रमुख जो दिल्ली में बैठते हैं १३ मई को प्रदेश के सिहोर जिले के एक होटल में लड़की के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गये। इनके साथ जो लड़की थी वह भी दिल्ली से आई थी। इनको पुलिस से बचाने में एक स्थानीय पत्रकार ने अहम् भूमिका निभाई। आपको याद दिला दें की ये वाही पत्रकार हैं जो पहले एक तलाकशुदा लड़की को पत्रकार बनाने के नाम पर उसका शारीरिक शोषण कर चुके हैं और काफी चर्चा में भी रहे थे। खेर अपन आते हैं मुद्दे की बात पर की दिल्ली के बड़े पत्रकार सिहोर के बड़े होटल में क्या कर रहे थे? बताया जाता है की ये एक मीटिंग के नाम पर भोपाल आए थे लेकिन भोपाल के बजाय ये सिहोर में रुक गए और अपने साथ लाये एक सुंदर सी लड़की के साथ सुखद पल बिताये। दिक्कत तब हो गई जब किसी ने इनके सुखद पलों से जलभुनकर पुलिस को सुचना कर दी। पुलिस ने भी बिना देर किए पत्रकार महोदय को होटल में धर दबोचा, लेकिन इसी दरम्यान भोपाल में बेठे नामी पत्रकार को इसकी जानकारी मिल गई तो अपने आका को बचाने के लिए तत्काल वहां पहुंचे और मामले को रफा दफा काज दिया। सवाल ये है की दिल्ली वाले पत्रकार के नाम की नए- नवेले पत्रकार दुहाई देते हैं लेकिन इस प्रकार की हरकत होंगी तो कुछ ऐसीही परिपाटी बन जायेगी। गोरतलब है की १३ मई को न्यूज़ चेनल से एग्जिट पोल दिखाने से रोक हटी थी और तमाम बड़े चेनल और पत्रकार देश की तस्वीर पेश कर रहे थे और वे मौज कर रहे थे।

Saturday, December 27, 2008

नव विचार हो नव बहार हो

प्रिन्स दैनिक भास्कर ग्रुप के इलेक्ट्रानिक मीडिया बीटीवी मैं प्रोड्यूसर हैं और अहा जिंदगी जेसे बेहतरीन कार्यक्रम तैयार करते हैं। उनके प्रोग्राम खास लोगो की आम जिन्दगी को सामने लाते हैं और खास को आम से जोड़ने में मदद करते हैं। ये कविता उन्होंने मुझे फ़ोन पर सुनाई और मेने उसी समय उनसे इसे मीडिया हाउस पर प्रकाशित करने का अनुरोध किया और उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। प्रिन्स गुप्ता की ये कविता नव वर्ष के आगमन के लिए तो है ही,नए वर्ष में नया जोश भी भरती है। - भीमसिंह मीणा
प्रिन्स गुप्ता

नव संचार हो
" नव विचार हो,
" नव बहार हो,
" नव संचार हो,
नव ज्योत जले
नव सोच चले
जीवन में नवाचार हो
मन कोमल में नव उद्गार हो
जीवन की आपाधापी मैं हर पल नवसंचार हो।
छुपी मन जिज्ञासा का उत्कर्ष आधार हो । ।
जीवन चले सृष्टि फले मन में यह सदविचार हो
चंचल जिजीविषा का न यहाँ कोई स्थान हो । ।
कठिन भले ही हो रही हो जीवन डगर।
थकान का पर नमोनिशान ना हो।
तू चलता चल ऐ मना (maanav) जीवन में कहीं विश्राम ना हो।
कर्त्तव्य पथ हो कठिन पर जीवन में कहीं विराम ना हो
" नव विचार हो,
"नव बहार हो,
" नव संचार हो ,

नव वर्ष मंगलमय हो

हर तारीख पर नज़र

हमेशा रहो समय के साथ

तारीखों में रहता है इतिहास