कल सुबह जब मैं अखबार पढ़ रहा था तो पीपुल्स समाचार में प्रकाशित भूमिका कलम की खबर ने मुझे फिर सोच में डाल दिया। इस खबर का विषय जितना संवेदनशील था, उतने ही संवेदनशील तरीके से इसे लिखा गया था। मामला था रतलाम में दंगा होने के बाद वहां की मुस्लिम महिलाओं पर हुए असर का। खबर लिखी तो मानव अधिकार दिवस के अवसर पर ऐसे विषय हमको हर दिन झंकझोरते हैं। खबर में रानी-बी ने बताया कि उसकी सास को पुलिस ने बालों से पकड़कर घसीटा और जब ऐसा करने से रोका तो उसे भी मारा। वहीं आफरीन ने बताया कि उसके भाई और पिता को भी पुलिस ने बेदर्दी से पीटा। अब वह बच्चों के शोर से भी डरने लगी है। 17 साल की समरोज के पिता को पुलिस उठाकर ले गई और छह दिन जेल में बंद रखा। 43 साल की अख्तर बी और उसके शौहर को पुलिस के जवानों ने केवल इसलिए पीटा कि वे मुस्लिम थे। आज भी अख्तर के पेट में दर्द होता है और वह दो महीने से चंदे पर गुजारा करने को मजबूर है।
अब मध्यप्रदेश में भी सब कुछ ठीक नहीं है
मप्र में शिवराज सिंह चौहान उम्दा काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं उनकी आंख से चूक हो रही है। भूमिका कलम की ये खबर मध्यप्रदेश में गरीबों के साथ होने वाली घटनाओं को छोटा सा नमूना भर है। इसके पहले रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज ब्लॉक में भी ऐसा ही हुआ था। बात केवल मुस्लिमों की ही नहीं है, बल्कि हर वो आदमी पुलिस से पीडि़त है जो आम है और वो किसी अपराध का शिकार हो गया है।
1 comment:
शर्मनाक बात है ...इसका हल, पढ़ लिख के खुद को मज़बूत बनाओ
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