Thursday, November 19, 2009

जमीन के लिए संघर्ष जारी

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में जमीन के लिए पत्रकारों में संघर्ष जारी है। दरअसल मामला अब जमीन का नही बल्कि अपनी हैसियत दिखने का बन गया है। जमीन के मामले में भोपाल से संचालित होने वाली वेबसाईट दखल लगातार खुलासे कर रही है। आई ४ मीडिया उन सभी आर्टिकल को अपने पेज पर प्रकाशित कर इस अभियान में सहयोग दे रही है।
सरकारी जमीन की बन्दरबाँट करने वाले पत्रकारों में घमासान
शैफाली गुप्ता राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था के चुनाव के बाद सेन्ट्रल प्रेस क्लब के पैनल में घमासान मचा हुआ हैं संस्था के अब तक अध्यक्ष रहे रामभुवन सिंह कुशवाह यह पद छोड़ना नहीं चाहते जबकि प्रेस क्लब के लोग कुशवाह को बहार का रास्ता दिखाना चाहते हैं यही वजह हैं कि अध्यक्ष को लेकर हुई पहली बैठक में कुल जमा १० लोग मिलकर आमराय से अध्यक्ष का नाम तय नहीं कर पाए भोपाल राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था के चुनाव के बाद माना जा रहा था कि सब कुछ ठीक-ठाक हो जायेगा , लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा , आपसी मनमुटाव के चलते संस्था के संचालकों कि पहली बैठक से परिवर्तन पैनल के एक मात्र सदस्य सुरेश शर्मा को इसमें नहीं बुलाया गया वही सेन्ट्रल प्रेस क्लब के १० सदस्य मिल कर संस्था का नया अध्यक्ष तय नहीं कर पाए खबर हैं कि संस्था के अब तक अध्यक्ष रामभुवन कुशवाह इस पद को छोड़ना नहीं चाहते हैं वही संस्था के पाँच संचालक कुशवाह के खिलाफ हैं वह उनको हटा के उनके कार्यकाल कि जाँच करवाना चाहते हैं संस्था और प्रेस क्लब के अधिकांश लोग कुशवाह से नाराज हैं और उन्हें उपाध्यक्ष तक बनाना नहीं चाहते हैं पहली बैठक में ही जब इस मामले पर आम राय नहीं बनी तो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन बनेगा , इसका जिम्मा यूएन आई के अरुण कुमार भंडारी और हिंदुस्तान टाइम्स के एन के सिंह को सौंपा गया हालाँकि यह दोनों भी खुद अध्यक्ष बनने के लिए खासे लालायित नज़र आ रहे हैं वर्ना भंडारी को दिल्ली तबादले के बाद यहाँ आकर छोटा सा चुनाव नहीं लड़ना पड़ता और एन के सिंह को भी अपनी गरिमा के विपरीत जाकर अपने पुत्रों की आयु के लोगो से दो-दो हाथ नहीं करना पड़ते वहीँ खबर हैं कि संस्था के तमाम श्रमजीवी पत्रकारों ने संचालक मंडल के वह शपथ पत्र मांगे हैं ,जो उन्होंने जमीन कब्जाने के लिए दिए हैं , पत्रकारों का मानना है कि अधिकांश लोगों ने झूटे शपथ पत्र दिए हैं इस बीच संस्था की एक सदस्य श्रुति अनुराग की संचालक मंडल को लिखी चिठ्ठी से हडकंप मच गया हैं , इस चिठ्ठी से संचालक मंडल के सदस्य बगले झाँकने को मजबूर हो गए हैं इस चिठ्ठी में इनके आलीशान मकानों की पोल खुल गई हैं और यह सवाल खड़ा हो गया हैं कि जब इनके पास पहले से मकान और कोठियां हैं तो इन्हें गरीब पत्रकारों को दी जाने वाली रियायत दर कि जमीन कि जरुरत क्या हैं
लेखक दखल का संचालन कर रही शेफाली हैं।

हर तारीख पर नज़र

हमेशा रहो समय के साथ

तारीखों में रहता है इतिहास