Monday, November 16, 2009

क्या भूमाफिया पत्रकारों के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे शिवराज

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इन दिनों झीलों के साथ भूमि घोटालों के लिए भी जानी जा रही है। हाल ही ग्रह निर्माण समितियों को लेकर कई तरह की बातें सामने आई हैं। इनमे से बड़े पत्रकारों द्वारा छोटे प्र्त्रकारों के हक़ पर कब्ज़ा करनी की बात भावी पत्रकारों के लिए ठीक नही है। अलग-अलग वेबसाइट पर इसको लेकर काफी कुछ लिखा गया है। उन सभी को आई ४ मीडिया में साभार प्रकाशित किया जा रहा है।
भोपाल में भूखण्ड घोटाले को लेकर चर्चा में आयी राजधानी गृह निर्माण समिति के संचालक मंडल के चुनाव भोपाल स्थित होटल पलाश मे संपन्न हो गए। चुनाव में पुरानी पैनल की रणनीति खूब काम आयी और उसके 11 में से 10 संचालक विजयी घोषित हुए। परिवर्तन पैनल को एक संचालक से संतोष करना पड़ा। मतदान स्थल पर सवेरे से ही इस बात की चर्चा थी कि सेन्ट्रल प्रेस क्लब पैनल ही चुनाव में सफल होगा।
कारण साफ़ था, वो ये कि समिति में जो 226 सदस्य हैं उनमें सें अधिकतर समिति के पुराने पदाधिकारियों की कृपा से सदस्यता प्राप्त कर सके हैं और उन्हीं के कारण उन्हें कौड़ियों के मोल प्लॉट मिले हैं। यही कारण रहा कि समिति के सदस्यों ने पुराने पैनल पर भरोसा किया। समिति के नव निर्वाचित सदस्यों में रामभुवनसिंह कुशवाह, विजय दास, अरूण भण्डारी, अक्षत शर्मा, केडी शर्मा, एनके सिंह, वीरेंद्र सिन्हा सेन्ट्रल प्रेस क्लब पैनल से और सुरेश शर्मा परिवर्तन पैनल से निर्वाचित हुए। अन्य पिछड़ा वर्ग से इंद्रजीत मौर्य निर्वाचित घोषित हुए। महिला वर्ग के आरक्षित दो पदों पर सुचंदना गुप्ता और कौशल वर्मा पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुकी थीं।
भोपाल से अरशद अली खान की रिपोर्ट
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भोपाल की पत्रकार श्रुति अनुराग ने राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति के संचालक मंडल को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपने नाम एलाट जमीन को प्रतीक्षा सूची में पड़े किसी सबसे गरीब पत्रकार को देने की बात कही है, साथ ही संचालक मंडल के सदस्यों पास पहले से मौजूद जमीन-मकानों का उल्लेख करते हुए फिर से प्लाट लिए जाने पर आपत्ति जताई है। श्रुति ने उनसे ये प्लाट गरीब पत्रकारों को देने की भी अपील की है। पूरा पत्र इस प्रकार है-
प्रति,
संचालक मंडल
राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति
भोपाल
महोदय,
राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति में भोपाल के निम्न आय और मध्यम आय के श्रमजीवी पत्रकारों की अनदेखी कर उसमें आप लोगों ने जिस तरह बेटे-बेटियों, पत्नियों, भतीजों, भूमाफियाओं, अपने सरकारी अधिकारी मित्रों को भूखंड देने की कोशिश की है, वह 'काबिल-ए-तारीफ' है। यही वजह है कि हमारी संस्था के असल श्रमजीवी पत्रकार आपके विरोध में खड़े हो गए। संस्था के चुनाव में भले ही टेक्नीकली आपके पैनल के लोग जीत गए हों, लेकिन लोगों ने आपको किस डर से वोट दिये, ये आप भी जानते हैं। आपके सहयोगी साथी आपके खिलाफ खड़े हुये, यह आपकी सबसे बड़ी हार है। मुझे उम्मीद है आप अपनी गलती से सबक लेकर इस पत्रकारों की संस्था से फर्जी और गैर पत्रकारों को बाहर करने का साहस दिखायेंगे। हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है।
वैसे भी आपमें से कुछ मेरे पिता तुल्य हैं, इसलिये मैं आपका बहुत सम्मान करती हूं और पूरे सम्मान के साथ मैं आपसे दो निवेदन करना चाहती हूं। एक तो मैं अपने आर्थिक पक्ष और कुछ आप लोगों के दोहरे मापदंड के कारण संस्था में जमीन नहीं ले सकती, अतः मेरे हिस्से का भूंखंड उस सबसे गरीब साथी को आवंटित करें जिसे आपने प्रतीक्षा सूची में डाल कर बेवकूफ बना रखा हो।
मेरा दूसरा निवेदन है कि आप में से एक अरूण कुमार भंडारी जी जिनका पंचवटी कालोनी में इतना आलीशान मकान है जैसा श्रमजीवी पत्रकार स्वप्न में भी कल्पना नहीं कर सकते। एन.के. सिंह जी जिनका भव्य बंगला रियायती दर की पत्रकार कालोनी में लिंक रोड नंबर-३ पर बना है, विजय दासजी का आलीशान करोड़ों का बंगला अरेरा कालोनी में है, वीरेन्द्र सिंहजी का चूना भट्टी में भव्य भवन है हमारी महिला साथी सुचांदना गुप्ता का भव्यतम मकान शहर की सबसे प्राइम लोकेशन रिवेरा में है जहाँ रहने की कल्पना भी भोपाल के पत्रकार नहीं कर सकते हैं। यह आप लोगों की वह संपदा है जो आपके पास नजर आती है, इसके अलावा पुश्तैनी और स्वयं के बूते कमाई संपत्ति भी होना लाजमी है, ऐसे में मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप लोगों को और जमीन की क्या आवश्यकता है अतः आप साथियों के बीच एक मिसाल पेश कर अपने अहम और जमीन की बंदरबांट की इस लड़ाई को बंद कर अपने-अपने प्लाट उन साथियों को देने का मार्ग प्रशस्त करें जो अरसे से यहाँ वहाँ किराये के मकानों में धक्के खा रहे हैं। आप लोग बड़े हैं, आप लोगों के पास इतनी जमीनें और मकान पहले से ही है फिर एक छोटे से भूखंड की क्या बिसात। यकीनन आप ऐसा करेंगे तो आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। आपकी शान में हम जैसे लोग कसीदे करते जरूर नजर आऐंगे। आपके इस प्रयास से कई छोटे पत्रकार साथियों की जिन्दगी संवर जाएगी।
मुझे उम्मीद है जमीन और साथियों में से आप साथियों को चुनना पसंद करेंगे क्योंकि जब भी आप यहां से विदा होंगे तो जमीन तो आपका साथ नहीं देगी, मित्रों का प्यार हमेशा आपके साथ रहेगा।
आपकी
श्रुति अनुराग , भोपाल
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भोपाल के रामभुवन सिंह कुशवाह, एके भंडारी, सुरेश शर्मा, राजेंद्र तिवारी, राजेंद्र शर्मा जैसे पत्रकारों-मालिकों ने जेनुइन पत्रकारों का हक मारा : भोपाल स्थित 'राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति' के पदाधिकरियों ने पत्रकारों के लिए सस्ते दर पर सरकार से मिली भूमि को आपस में बांटकर आवासहीन पत्रकारों के अधिकारों पर न केवल अतिक्रमण किया है बल्कि शासन की आंखों मे धूल झोंककर धोखाधड़ी भी की है। जरूरतमंद पत्रकार आज भी घर की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं। घर का सपना दिखाते हुए पत्रकारों की भीड़ जुटाकर राजनीति करने वालों ने एक साथ चार-चार भूखण्ड जुगाड़ लिये। इस घटना से ये भी साफ हो गया है कि मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में धंधेबाजों का कितना दख़ल है और वे किस तरह पत्रकारिता की आड़ में धीरे-धीरे भू-माफि़या बनते जा रहे हैं। इन कथित पत्रकारों की करतूत के कारण ही समाज में पत्रकारों की इज्जत नहीं बची है। आइए, समिति के पदाधिकारियों के बारे में एक-एक कर बात करते हैं-
सबसे पहले बात करते हैं समिति के अध्यक्ष रामभुवन सिंह कुशवाह की। उन्होंने एक भूखण्ड अपने और तीन भूखण्ड अपने पुत्रों के नाम कर लिए। शातिरपन देखिए कि पत्रकारों के सामने नंगे होने से बचने के लिए अपने पुत्र विजय सिंह के पिता के नाम की जगह अपना पूरा नाम लिखने की बजाट शार्ट नाम आरबी सिंह लिख दिया ताकि कोई ये न समझे कि यह रामभुवन सिंह कुशवाह का पुत्र है।
इसी प्रकार समाचार एजेंसी के एक पत्रकार एके भंडारी ने एयरपोर्ट रोड पर स्थित पंचवटी में लाखों रुपये का आलीशान बंगला होते हुए भी भूखण्ड ले लिया। सहकारिता के नियमानुसार भूखण्ड प्राप्त करने से पूर्व समिति के सदस्य को एक शपथ पत्र देना होता है जिसमें इस बात की कसम खाई जाती है कि शपथकर्ता के पास कोई मकान नहीं है। जाहिर है कि भंडारी ने प्लाट के लालच में झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
इसी कड़ी में शामिल हैं सुरेश शर्मा। इनके अखबार के नाम पर सरकार ने करोड़ों रुपये की जमीन आवंटित की थी लेकिन धन के लालच में इन्होंने जमीन के साथ अख़बार भी बेच दिया। सुरेश शर्मा के पास पहले से निजी मकान है। उसके बाद भी सरकारी मकान के मज़े ले रहे हैं। प्लाट जुगाड़ा सो अलग। भगवान जाने इनकी इच्छापूर्ति कब होगी।
राजेंद्र तिवारी दैनिक अख़बार के मालिक हैं। इन्होंने एक भूखंड अपने, एक अपने भाई सुरेंद्र तिवारी और एक अपने भतीजे विश्वास तिवारी के नाम बुक करा लिया।
एक अन्य दैनिक के मालिक हैं राजेंद्र शर्मा। शर्मा जी ने भी एक अपने और अपने पुत्र अक्षत शर्मा के नाम भूखण्ड लिया। मनीष शर्मा दिल्ली के एक अखबार का काम देखते हैं। इनके पास भी सिर छुपाने के लिए अच्छी खासी छत है।
समाज को दिशा देने का दम भरने वाले इन पत्रकारों से क्या पत्रकारों के हित की उम्मीद की जा सकती है? अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों के विरोध से बचने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए इन्होंने पूर्वनियोजित तरीके से समिति में अखबार मालिकों को रखा और जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों को इसलिए समिति में रखा ताकि समय-समय पर वे इनके काले-जाले में पर्दा डालने में मदद कर सकें।
अरशद अली खान, पत्रकार
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अगर आपको इस रिपोर्ट के बारे में कुछ कहना है तो अपनी बात eyeformedia@gmail.com
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