मेरे दोस्त और वरिष्ठ पत्रकार सचिन के एक-एक शब्द में सच्चाई है और उनके शब्द सोचने के लिए भी मजबूर करते हैं। में ये टिप्पणी उनके ब्लॉग पर भी लिख सकता था, लेकिन ऐसी बहुत सी बातें हैं जो दिल में थी और सचिन भाई के ब्लॉग सचिन की दुनिया पर राजनीति तो करनी ही पड़ेगी यारों पड़कर वे बातें फ़िर से जेहन में घूमने लगी है। कभी में भी राजनीति को पसंद करता था लेकिन समय का चक्र घूमा और में राजनीति की बजाय
पत्रकारिता में में आ गया लेकिन राजनीति करने की भड़ास दिल में दबी थी। उस भड़ास को निकालने के लिए कई बार कोशिश भी की लेकिन दोस्तों हर बार समय एसा आया जिसने मुझे पत्रकारिता और राजनीति में से एक कोई चुनने के विकल्प दिए और हर बार पत्रकारिता जीत गई।
लेकिन राजनीति में युवाओ को आना चाहिए इस बात को हमेशा सबसे ऊपर रखूंगा। दरअसल हम सभी ये सोचते हैं की फला व्यक्ति अच्छा राजनेता साबित हो सकता है क्योंकि हम वेसा नही बनना चाहते है। अब सवाल की हम पत्रकार क्या कर सकते हैं शायद हम अच्छे राजनेता खोज सकते हैं और उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं और एक अच्छे राजनेता की तरह देश के लिए काम कर सकते हैं।
फिलहाल देश के पास राजनेता नही हैं और एसा होता तो उमा भारती और कल्याण सिंह को शेखावत का पल्लू नही पकड़ना पड़ता?
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