
भोपाल के पत्रकारों ने कभी नही सोचा था की उनके ऊपर पुलिस के डंडे बरसेंगे और वे कुछ कर भी नही पायेंगे। लेकिन ऐसा हुआ है और वह भी तब जब पत्रकार सपा नेता अमरसिंह को कवर करने गए थे। अब समझ नही आता की पत्रकारों को अमरसिंह को कवर करने की सजा मिली है या पुलिस ने इस बात का अहसास दिलाया है की अब आचार संहिता लग गई है और अब माइक की जगह डंडे का बोलबाला होगा। इंडिया टीवी के पत्रकार अनुराग उपाध्याय तो पूरे दिन अस्पताल से बहार नही आ सके। वही बीटीवी के कैमरामेन इकबाल आज भी अपने हाथ पर लगे पुलिस के डंडे की दास्ताँ अपने साथियों को सुना रहे है और उस दिन को कोस रहे हैं जब वे अमर सिंह को कवर करने एअरपोर्ट गए थे। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस के आला अधिकारियो ने दो पुलिस वालों को सस्पेंड कर इतिश्री कर दी लेकिन क्या इससे पत्रकारों के जख्मो पर मरहम लग जायेगा। प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों ने भी बहुत ज्यादा तवज्जो इस मामले को नही दी और हालचाल पूछकर अपने होने का अहसास करा दिया। सबसे ज्यादा असंवेदनशीलता अगर किसी ने दिखाई है तो वह हैं टीवी चेनल जिन्होंने अपने ही चेनल में काम करने वाले पत्रकारों की ख़बर को तवज्जो नही दी। इसकी एक वजह तो जान्हवी दुबे ने bhadas4media पर
अमर सिंह को कवर करने जाओ तो हेलमेट पहनो बता दी है और इसकी दूसरी वजह मध्य प्रदेश के पत्रकारों के प्रति पक्षपात वाला मामला लगता है। इसमे कोन सी बात सही है ये चेनल वाले ही जाने लेकिन पत्रकारों पर लगातार हमले सोचने पर जरूर majboor करते हैं
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