tag:blogger.com,1999:blog-398108450165107989.post7411513848092565174..comments2023-11-03T19:02:52.303+05:30Comments on EYE-4-MEDIA: राज एक्सप्रेस, भोपाल : कई लोग गए और आएUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-398108450165107989.post-15543526677431118662009-09-17T00:42:45.557+05:302009-09-17T00:42:45.557+05:30छोडना-जाना-आना लगा रहता है। यह इंसानी फितरत है। नै...छोडना-जाना-आना लगा रहता है। यह इंसानी फितरत है। नैसर्गिक जरूरत है। राज एक्सप्रेस को इससे निश्चित ही फर्क़ पडा होगा। अच्छा या बुरा, उसका प्रबन्धन जाने, किंतु आजकल कर्मचारियों को जिस तरह से खरीदने की मनोव्रत्ती बन गई है, और उसे अपना गुलाम समझने की जो भूल प्रबन्धन करता है यह उसीका नतीज़ा है कि पत्रकार स्थिर नहीं हो पाते। कभी कभी पत्रकार भी अपनी आय को देखते हुए ऐसे फैसले लेते हैं। जो भी हो, मैं उन तमाम पत्रकारों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.com